गुजरात पुलिस पर यौन उत्पीड़न का आरोप, उच्चतम न्यायालय में सुनवाई की तारीख तय

उच्चतम न्यायालय में याचिका पर सुनवाई
उच्चतम न्यायालय ने गुजरात पुलिस पर 17 वर्षीय एक लड़के के यौन उत्पीड़न और हिरासत में यातना देने के आरोपों की सुनवाई के लिए 15 सितंबर की तारीख निर्धारित की है।
यह याचिका प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए प्रस्तुत की गई। इसमें शीर्ष अदालत की निगरानी में मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का अनुरोध किया गया है, जिसमें गुजरात कैडर के पुलिस अधिकारी शामिल न हों।
कथित पीड़ित की बहन द्वारा दायर याचिका में वैकल्पिक रूप से अदालत की निगरानी में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच कराने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।
अधिवक्ता रोहिन भट्ट ने पीठ से कहा कि यह अनुच्छेद-32 के तहत दायर याचिका है, जिसमें याचिकाकर्ता के नाबालिग भाई को पुलिस द्वारा उठाए जाने, हिरासत में प्रताड़ित किए जाने और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है। उन्होंने कहा कि लड़के के साथ अत्याचार किया गया और हम एम्स दिल्ली द्वारा एक मेडिकल बोर्ड का गठन करने का अनुरोध कर रहे हैं।
उन्होंने मामले की तात्कालिक सुनवाई का आग्रह किया, लेकिन प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इसे सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
याचिका में कहा गया है कि बोटाद शहर की पुलिस ने सोने और नकदी की चोरी के संदेह में लड़के को हिरासत में लिया था। इसमें आरोप लगाया गया है कि लड़के को 19 से 28 अगस्त तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया और थाने में पुलिसकर्मियों ने उसकी बेरहमी से पिटाई की और यौन उत्पीड़न किया।
याचिका में यह भी दावा किया गया है कि लड़के को हिरासत में लिए जाने के 24 घंटे के भीतर न तो किशोर न्याय बोर्ड और न ही मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया।
इसमें कहा गया है कि हिरासत में लेने के बाद पुलिस ने उसकी मेडिकल जांच भी नहीं कराई। याचिका में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम और अन्य लागू कानूनों के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, ताकि नाबालिग को हिरासत में दी गई यातना और उसके साथ हुई यौन हिंसा की जांच की जा सके।