गुजरात ने 33 साल बाद फिर से पाया बाघों का दर्जा, उप मुख्यमंत्री ने जताया गर्व
गुजरात को मिला बाघों का दर्जा
टाइगर (फाइल फोटो)
गुजरात ने 33 वर्षों के बाद अपना खोया हुआ बाघों का दर्जा पुनः प्राप्त किया है। पहले इस राज्य में बाघों की संख्या काफी अधिक थी, लेकिन समय के साथ यह सूची से बाहर हो गया। अब, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने गुजरात में एक बाघ की उपस्थिति की पुष्टि की है।
गुजरात के उप मुख्यमंत्री हर्ष सांघवी ने शुक्रवार (26 दिसंबर) को इस उपलब्धि की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अब गुजरात शेर, तेंदुए और बाघ का भी निवास स्थान बन गया है, जो हर गुजराती के लिए गर्व की बात है।
1992 में खोया था दर्जा
एनटीसीए ने पुष्टि की है कि दाहोद जिले के रतनमहल वन्यजीव अभयारण्य में एक बाघ बस गया है, जिसने गुजरात को राष्ट्रीय बाघ जनगणना में शामिल किया है। 1989 में बाघों की विलुप्ति के बाद, 1992 में गुजरात को जनगणना से बाहर कर दिया गया था। अब बाघों की वापसी के साथ यह दर्जा पुनः प्राप्त हुआ है।
2019 में हुई थी बाघ की मृत्यु
वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, गुजरात में पहले बाघों की अच्छी खासी संख्या थी, लेकिन धीरे-धीरे यह प्रजाति गायब हो गई। आखिरी बाघ जनगणना 1989 में हुई थी, जब केवल पगमार्क मिले थे। इसके बाद कोई बाघ नहीं देखा गया, जिससे गुजरात ने 'टाइगर स्टेट' का दर्जा खो दिया। 2019 में महिसागर जिले में एक बाघ देखा गया था, लेकिन वह 15 दिनों के भीतर मर गया।
उप मुख्यमंत्री का बयान
हर्ष सांघवी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि गुजरात ने 33 साल बाद बाघों की उपस्थिति दर्शाने वाले भारत के नक्शे में फिर से जगह बनाई है। उन्होंने बताया कि रतनमहल वन्यजीव अभयारण्य में लगे कैमरों से प्राप्त सबूतों के आधार पर एनटीसीए ने 2026 की गणना के लिए गुजरात को बाघ वाले राज्य के रूप में पुनः शामिल किया है।
