गाजियाबाद के फर्जी एंबेसडर की कहानी: हर्षवर्धन जैन और केएस राणा का जालसाजी का मामला

गाजियाबाद में फर्जी एंबेसडर हर्षवर्धन जैन को गिरफ्तार किया गया है, जो चार देशों के नाम पर धोखाधड़ी कर रहा था। यह मामला डॉ. केएस राणा से मिलता-जुलता है, जो खुद को ओमान का हाई कमिश्नर बताकर ठगी कर चुका है। जानें कैसे इन दोनों की कहानियाँ एक-दूसरे से जुड़ी हैं और पुलिस ने इनकी गिरफ्तारी कैसे की।
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गाजियाबाद के फर्जी एंबेसडर की कहानी: हर्षवर्धन जैन और केएस राणा का जालसाजी का मामला

गाजियाबाद में फर्जी एंबेसडर की गिरफ्तारी

गाजियाबाद के फर्जी एंबेसडर की कहानी: हर्षवर्धन जैन और केएस राणा का जालसाजी का मामला


गाजियाबाद के एक फर्जी एंबेसडर, हर्षवर्धन जैन, को उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। उस पर चार देशों के नाम पर फर्जी दूतावास स्थापित कर लोगों को ठगने का आरोप है। यह पहली बार नहीं है जब ऐसा हुआ है; चार महीने पहले गाजियाबाद से डॉ. केएस राणा को भी इसी तरह गिरफ्तार किया गया था। राणा ने खुद को ओमान का हाई कमिश्नर बताकर धोखाधड़ी की थी और वर्तमान में वह जेल में है। दोनों की कहानियों में कई समानताएँ हैं।


डॉ. केएस राणा, जो दो विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर रह चुके हैं, एक एनजीओ के लिए भी काम करते थे। उन्हें लाल बत्ती वाली गाड़ियों में घूमने का शौक था, जो अंततः उनकी गिरफ्तारी का कारण बना। मार्च में, राणा ने गाजियाबाद प्रशासन को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने खुद को ओमान का हाई कमिश्नर बताते हुए सुरक्षा की मांग की।


हालांकि, इस पत्र में एक महत्वपूर्ण गलती थी, जो गाजियाबाद के एसएसपी अजय कुमार मिश्रा की नजर में आई। उन्होंने पत्र की सत्यता की जांच करने का निर्णय लिया, जिससे राणा की धोखाधड़ी का पर्दाफाश हुआ। पत्र में राणा को 'हाई कमिश्नर ऑफ सुलटैनेट ऑफ ओमान' बताया गया था, जबकि ओमान का प्रतिनिधित्व भारत में एंबेसडर द्वारा किया जाता है।


फर्जी डिप्लोमेटिक पहचान और गिरफ्तारी


जांच के बाद पता चला कि ओमान एंबेसी में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है। इसके बाद पुलिस ने राणा को गिरफ्तार कर लिया और उनके पास से एक मर्सिडीज जीएल 350 सीडीआई एसयूवी भी बरामद की, जिस पर फर्जी डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट लगी थी। राणा ने सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए गाजियाबाद पुलिस को पत्र लिखा था, जबकि नियम के अनुसार, हाई कमिश्नर को दिल्ली के बाहर जाने से पहले विदेश मंत्रालय को सूचित करना होता है।


जाली नंबर प्लेट का खुलासा


पुलिस ने जब राणा की कार की जांच की, तो पता चला कि वह कार उनकी नहीं थी और उस पर जाली नंबर प्लेट लगी हुई थी। यह ओवर स्मार्टनेस भी उनकी गिरफ्तारी का एक कारण बनी।