गाजा में शांति प्रस्ताव के बावजूद हमास की क्रूरता का नया वीडियो वायरल

गाजा में हाल ही में पारित शांति प्रस्ताव के बावजूद हमास की क्रूरता का एक नया वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में हमास के कमांडर आठ लोगों को घुटनों पर बिठाकर गोली मारते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह घटना शांति की प्रक्रिया के बीच गंभीर सवाल उठाती है। जानें इस वीडियो के पीछे की कहानी और हमास के दावों की सच्चाई।
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गाजा में शांति प्रस्ताव और हमास की कार्रवाई

तेल अवीव से खबर है कि गाजा के लिए एक शांति प्रस्ताव मिस्र में पारित किया गया है, जिसमें अमेरिका, तुर्की, मिस्र और कतर शामिल हैं। कई अन्य देशों ने भी इस पर सहमति जताई है, और इजरायल ने भी इसे स्वीकार किया है। सीजफायर की घोषणा हो चुकी है, और हमास ने हथियार डालने पर सहमति दी है। हालांकि, वास्तविकता में ऐसा होता नहीं दिख रहा है।


सोमवार की शाम एक नया वीडियो सामने आया है जिसमें हमास के सशस्त्र कमांडर आठ लोगों को घुटनों पर बिठाकर गोली मारते हुए दिखाई दे रहे हैं। इन व्यक्तियों के हाथ बंधे हुए हैं और उनकी आंखों पर पट्टी बंधी हुई है। उन्हें घुटनों पर बैठने के लिए मजबूर किया जाता है, और फिर उनके सिर में गोलियां दागी जाती हैं।


इस दौरान भीड़ से अल्लाह हू अकबर के नारे सुनाई दे रहे हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है, और इसे साझा करना भी मुश्किल हो रहा है। कहा जा रहा है कि इन व्यक्तियों पर हमास के लड़ाकों ने आरोप लगाया कि वे इजरायल के साथ मिलकर काम कर रहे थे। यह कार्रवाई हमास द्वारा गाजा में अपने नियंत्रण को मजबूत करने के लिए की गई है।


यदि यह सच है, तो यह एक गंभीर उल्लंघन है और इजरायल के लिए भी एक नई चुनौती पेश करता है। इजरायल ने पहले कहा था कि सीजफायर की शर्त होगी कि हमास या तो हथियार डाल दे या गाजा से बाहर निकल जाए। लेकिन फिलहाल, ऐसा कोई संकेत नहीं है कि हमास इनमें से किसी भी स्थिति पर काम कर रहा है।


वायरल वीडियो में दिखाया गया है कि मारे गए व्यक्तियों को सड़क पर घुटनों के बल बिठाया जाता है, फिर उनकी बुरी तरह पिटाई की जाती है और अंततः उन्हें गोली मारकर हत्या कर दी जाती है। यह तरीका इस्लामिक स्टेट के क्रूर तरीकों से मिलता-जुलता है। वीडियो में हमास के कमांडरों को हरे रंग के स्कार्फ पहने हुए देखा जा सकता है, जो कि हमास का प्रतीक है। इस दौरान भीड़ लगातार अल्लाह हू अकबर के नारे लगाती रहती है। हमास ने एक बयान में कहा है कि मारे गए लोग अपराधी थे और इजरायल के साथ मिलकर काम कर रहे थे, लेकिन इस दावे के समर्थन में कोई सबूत पेश नहीं किया गया है।