गांधारी की अनसुनी कहानी: बकरे से विवाह और दृष्टिहीन पति का सच

गांधारी की कहानी में एक अनोखी मोड़ है, जिसमें उनका विवाह पहले एक बकरे से हुआ था। जानें कैसे इस विवाह ने उनकी भविष्यवाणी को बदल दिया और धृतराष्ट्र के साथ उनकी शादी के पीछे की सच्चाई क्या थी। यह कहानी न केवल पौराणिक है, बल्कि यह हमें रिश्तों और बलिदान के बारे में भी सोचने पर मजबूर करती है।
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गांधारी की अनसुनी कहानी: बकरे से विवाह और दृष्टिहीन पति का सच

गांधारी का विवाह: एक अनोखी कथा

गांधारी की अनसुनी कहानी: बकरे से विवाह और दृष्टिहीन पति का सच


हम सभी जानते हैं कि गांधारी का विवाह हस्तिनापुर के महाराज धृतराष्ट्र से हुआ था। लेकिन बहुत कम लोग इस बात से परिचित हैं कि गांधारी की पहली शादी एक बकरे के साथ हुई थी।


गांधारी, जो गांधार के राजा सुबल की पुत्री थीं, का नाम उनके राजकुमार होने के कारण पड़ा। वह धृतराष्ट्र की पत्नी और दुर्योधन सहित कौरवों की मां थीं।


जब भीष्म ने धृतराष्ट्र के साथ गांधारी के विवाह का प्रस्ताव लेकर गंधार पहुंचे, तो राजा सुबल ने इसे स्वीकार कर लिया।


हालांकि, विवाह के बाद जब धृतराष्ट्र को गांधारी के पहले विवाह और उसके विधवा होने की जानकारी मिली, तो वह क्रोधित हो गए और गांधार पर आक्रमण करने का निर्णय लिया।


गांधारी की जन्म कुंडली में एक दोष था, जिसके अनुसार वह विवाह के बाद विधवा हो जाएंगी। इस समस्या का समाधान करने के लिए, उनके पिता ने पंडितों की सलाह पर उनका विवाह एक बकरे से करवाया और उसकी बलि दी।


इस प्रक्रिया के बाद गांधारी की कुंडली से विधवा होने का दोष हट गया। बाद में, धृतराष्ट्र से विवाह के समय गांधारी को यह नहीं पता था कि वह दृष्टिहीन हैं। लेकिन अपने माता-पिता की इज्जत के लिए उन्होंने शादी कर ली।


जब गांधारी को पता चला कि धृतराष्ट्र नेत्रहीन हैं, तो उन्होंने भी अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली। उनका मानना था कि यदि उनके पति दृष्टिहीन हैं, तो उन्हें भी दुनिया को देखने का अधिकार नहीं है।


हालांकि, गांधारी के भाई शकुनि को यह बात पसंद नहीं आई और उन्होंने इस विवाह का विरोध किया।