गांठों का उपचार: लिपोमा और आयुर्वेदिक उपाय

गांठों का सामान्य होना
कई लोगों को शरीर में विभिन्न स्थानों पर गांठें विकसित होती हैं, जैसे गाल, गर्दन, उंगलियां, घुटने, और टेस्टिस। गांठ का नाम सुनते ही कई बार कैंसर का डर सताने लगता है, लेकिन यह जानना जरूरी है कि हर गांठ कैंसर नहीं होती। शरीर में गांठें एक सामान्य स्थिति हैं और इसके कई कारण हो सकते हैं। गांठ का आकार, दर्द और अन्य लक्षण इसके गंभीर या साधारण होने का संकेत देते हैं।
गांठों के कारण
शरीर में गांठें कई कारणों से हो सकती हैं, जैसे सिस्ट, चोट, लिम्फ नोड्स की सूजन, संक्रमण, फोड़ा, हार्मोनल असंतुलन, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, कैंसर, लिम्फोमा, और आनुवंशिक कारण।
लिपोमा की पहचान
कुछ लोगों में बिना दर्द वाली गांठें होती हैं, जिन्हें लिपोमा कहा जाता है। ये गांठें वसा कोशिकाओं के जमा होने से बनती हैं और आमतौर पर खतरनाक नहीं होतीं। इन्हें घरेलू उपायों से आसानी से कम किया जा सकता है।
गांठों के प्रकार
आयुर्वेदिक विशेषज्ञ स्वामी ध्यान नीरव के अनुसार, गांठें दो प्रकार की होती हैं: एक संक्रमण के कारण और दूसरी चर्बी के कारण। संक्रमण से होने वाली गांठ में सूजन और दर्द होता है, जबकि चर्बी की गांठ में ऐसा नहीं होता।
लिपोमा का आयुर्वेदिक उपचार
यदि शरीर में बिना दर्द वाली गांठें हैं, तो आयुर्वेदिक दवा का सेवन करें। कांचनार गुग्गुल का सेवन करने से ये गांठें कुछ महीनों में घुल सकती हैं।
योग से उपचार
योग गुरु बाबा रामदेव के अनुसार, कपालभाति प्राणायाम करने से शरीर में किसी भी प्रकार की गांठें कम हो सकती हैं। नियमित रूप से 30 मिनट तक कपालभाति करने से लाभ होता है।
गोमूत्र का सेवन
यदि आपके शरीर में गांठें बन रही हैं, तो गोमूत्र के अर्क का सेवन करें। इसके साथ आयुर्वेदिक दवाएं जैसे वृद्धिवाधिका वटी और कांचनार गुग्गुल भी फायदेमंद हैं।
हल्दी का महत्व
गांठों के उपचार में हल्दी का सेवन बहुत प्रभावी होता है। रोजाना 2-3 ग्राम हल्दी का सेवन सुबह खाली पेट करने से गांठों से जल्दी राहत मिल सकती है।