गहलोत ने अरावली विवाद पर भाजपा सरकार से पूछे सवाल

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अरावली पर्वतमाला के विवाद पर भाजपा सरकार से सवाल उठाए हैं। उन्होंने 100 मीटर फॉर्मूले को लेकर उच्चतम न्यायालय के निर्णय का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने खनन माफिया को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। गहलोत ने कहा कि नई सिफारिशों के अनुसार, राज्य की 90 प्रतिशत पर्वतमाला नष्ट हो जाएगी। भाजपा के नेता ने गहलोत के दावों को खारिज किया है, जबकि गहलोत ने न्यायपालिका के आदेशों का पालन करने की बात कही। इस विवाद में गहलोत ने केंद्र सरकार पर दबाव या साजिश का आरोप लगाया है।
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गहलोत ने अरावली विवाद पर भाजपा सरकार से पूछे सवाल

अरावली पर विवाद और गहलोत के सवाल

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को अरावली पर्वतमाला से जुड़े विवाद के संदर्भ में सवाल उठाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने उस '100 मीटर' फॉर्मूले को क्यों मान्यता दी, जिसे उच्चतम न्यायालय ने 2010 में खारिज कर दिया था।


गहलोत ने सत्तारूढ़ पार्टी पर आरोप लगाया कि वह अरावली को खनन माफिया के हवाले कर राज्य के भविष्य को खतरे में डालने की कोशिश कर रही है।


गहलोत का '100 मीटर' फॉर्मूला केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत गठित एक समिति की हालिया सिफारिशों से संबंधित था, जिसे उच्चतम न्यायालय ने 20 नवंबर को स्वीकार किया।


नई परिकल्पना के अनुसार, 'अरावली पर्वतमाला' उन पहाड़ियों का समूह है, जो स्थानीय भू-भाग से 100 मीटर या उससे अधिक ऊंची हैं और 500 मीटर की दूरी के भीतर स्थित हैं।


गहलोत ने कहा कि नई परिकल्पना के अनुसार, राज्य की 90 प्रतिशत पर्वतमाला नष्ट हो जाएगी। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने रविवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुमोदित परिकल्पना के तहत अरावली क्षेत्र का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा 'संरक्षित क्षेत्र' में आ जाएगा।


भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौर ने गहलोत के दावे को 'बेबुनियाद और भ्रामक' बताते हुए कहा कि नया ढांचा 'पहले से अधिक सख्त' और 'अधिक वैज्ञानिक' है।


गहलोत ने राठौर के बयान का जवाब देते हुए कहा कि 2003 में एक विशेषज्ञ समिति ने आजीविका और रोजगार के संदर्भ में '100 मीटर' की सिफारिश की थी।


उन्होंने बताया कि इस सिफारिश के आधार पर तत्कालीन राज्य सरकार ने 16 फरवरी 2010 को न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल किया, जिसे न्यायालय ने केवल तीन दिनों के भीतर खारिज कर दिया।


गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार ने न्यायपालिका के आदेश को स्वीकार किया और बाद में भारतीय वन सर्वेक्षण के माध्यम से अरावली क्षेत्र का मानचित्रण करवाया।


उन्होंने यह भी बताया कि अवैध खनन का पता लगाने के लिए रिमोट सेंसिंग के उपयोग के निर्देश दिए गए थे और 15 जिलों में सर्वेक्षण के लिए सात करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया।


पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस अधीक्षकों और जिलाधिकारियों को अवैध खनन पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी दी गई थी।


गहलोत ने अंत में सवाल उठाया कि वर्तमान सरकार ने केंद्र की एक समिति को उसी परिकल्पना का समर्थन और सिफारिश क्यों की, जिसे न्यायालय ने 2010 में पहले ही खारिज कर दिया था। उन्होंने आशंका जताई कि इसके पीछे कोई दबाव या बड़ी साजिश हो सकती है।