गर्भावस्था में नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी के संकेत

गर्भावस्था के दौरान, महिलाओं के लिए डिलीवरी का समय एक महत्वपूर्ण चरण होता है। नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी के बीच के अंतर को समझना आवश्यक है। इस लेख में, हम नॉर्मल डिलीवरी के संकेतों और सिजेरियन डिलीवरी की प्रक्रिया के बारे में जानकारी साझा कर रहे हैं। जानें कि कैसे आप अपने शरीर के संकेतों के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आपकी डिलीवरी किस प्रकार की होगी।
 | 
गर्भावस्था में नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी के संकेत

गर्भावस्था और डिलीवरी की प्रक्रिया


गर्भवती महिलाओं के लिए यह एक खुशी का समय होता है, क्योंकि वे अपने बच्चे के जन्म का बेसब्री से इंतजार करती हैं। डिलीवरी के दो मुख्य प्रकार होते हैं: नॉर्मल डिलीवरी और सिजेरियन डिलीवरी। वर्तमान समय में, कई महिलाएं सिजेरियन डिलीवरी को प्राथमिकता देती हैं, क्योंकि इसमें दर्द का अनुभव नहीं होता और मेहनत की आवश्यकता नहीं होती।


सिजेरियन डिलीवरी की प्रक्रिया

गर्भावस्था में नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी के संकेत


जब महिलाएं प्राकृतिक तरीके से बच्चे को जन्म नहीं दे पाती हैं, तो डॉक्टर सर्जरी के माध्यम से बच्चे को बाहर निकालते हैं। इसे सिजेरियन डिलीवरी कहा जाता है। इस प्रक्रिया के लिए नियमित रूप से स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना आवश्यक है। सिजेरियन डिलीवरी के बाद महिलाओं को ठीक होने में अधिक समय लगता है।


नॉर्मल डिलीवरी की प्रक्रिया

गर्भावस्था में नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी के संकेत


जब महिलाएं बिना किसी सर्जरी के वजाइना के माध्यम से बच्चे को जन्म देती हैं, तो इसे नॉर्मल डिलीवरी कहा जाता है। यह प्रक्रिया प्राकृतिक होती है और महिलाओं के लिए सबसे बेहतर मानी जाती है। नॉर्मल डिलीवरी के बाद महिलाएं जल्दी स्वस्थ हो जाती हैं।


नॉर्मल डिलीवरी के संकेत

गर्भावस्था में नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी के संकेत


डिलीवरी की तय तारीख से कुछ सप्ताह पहले महिलाओं में कई बदलाव दिखाई देते हैं। हालांकि, हर महिला के लक्षण अलग हो सकते हैं। सामान्यतः, प्रसव से एक से चार हफ्ते पहले नॉर्मल डिलीवरी के संकेत मिल सकते हैं।


1. शिशु के सिर से वजाइना पर अधिक दबाव पड़ना, जिससे बार-बार यूरिन आना।


2. पीठ के निचले हिस्से में तनाव और दर्द का अनुभव।


3. पेल्विक क्षेत्र में शिशु की मूवमेंट में कमी।


4. गर्भाशय ग्रीवा का चौड़ा होना।


5. गुदा की मांसपेशियों का रिलैक्स होना।


6. रिलैक्सिन हार्मोन के प्रभाव से जोड़ों का ढीला होना।


7. ब्रैक्‍सटन हिक्‍स कॉन्‍ट्रैक्‍शन का अनुभव।