गर्भवती महिलाओं में एनीमिया: बढ़ते मामलों के कारण और बचाव के उपाय
गर्भावस्था और एनीमिया
प्रेगनेंसी और एनीमियाImage Credit source: Getty Images
यदि आप गर्भवती हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि आपके शरीर में खून की कमी न हो। हीमोग्लोबिन का स्तर 9 से अधिक होना चाहिए, लेकिन कुछ महिलाओं में खून की कमी हो जाती है, जिसे चिकित्सा में एनीमिया कहा जाता है। एनीमिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर में खून या हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो जाता है। हीमोग्लोबिन शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन पहुंचाने का कार्य करता है, और इसकी कमी से शरीर में कमजोरी महसूस होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में बड़ी संख्या में महिलाएं एनीमिया से प्रभावित हैं, जिनमें गर्भवती महिलाओं की संख्या अधिक है। भारत में भी यह समस्या गंभीर रूप ले चुकी है, जहां गर्भावस्था के दौरान एनीमिया एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चुनौती बन गई है। यह न केवल मां की सेहत को प्रभावित करता है, बल्कि बच्चे के विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। कई बार यह समस्या प्रारंभ में स्पष्ट नहीं होती, जिससे समय पर पहचान नहीं हो पाती।
इसलिए यह जानना आवश्यक है कि गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के मामले क्यों बढ़ रहे हैं।
गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के कारण
गर्भवती महिलाओं को एनीमिया क्यों हो रहा है?
आरएमएल हॉस्पिटल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. सलोनी चड्ढा के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में खून की मात्रा सामान्य से अधिक बढ़ जाती है, ताकि मां और गर्भ में पल रहे बच्चे की आवश्यकताएं पूरी हो सकें। इस बढ़ी हुई खून की मात्रा के लिए शरीर को अधिक आयरन, फोलिक एसिड और अन्य पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। यदि यह आवश्यकता पूरी नहीं होती, तो एनीमिया की स्थिति उत्पन्न होती है।
कई महिलाओं में गर्भावस्था से पहले ही हीमोग्लोबिन का स्तर कम होता है, जो गर्भावस्था के दौरान और गिर सकता है। इसके अलावा, बार-बार उल्टी, मतली या सही भोजन न कर पाना भी पोषण की कमी को बढ़ा देता है। समय पर जांच न होना और एनीमिया की पहचान में देरी भी समस्या को गंभीर बना देती है.
एनीमिया के बढ़ते मामले
गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के मामलों में वृद्धि के कारण
डॉ. सलोनी चड्ढा ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के मामलों में वृद्धि के पीछे कई कारण हैं। असंतुलित आहार, आयरन युक्त भोजन की कमी और सप्लीमेंट्स का नियमित सेवन न करना इसके प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा, ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुंच के कारण समय पर जांच और उपचार नहीं हो पाता। जागरूकता की कमी भी एक महत्वपूर्ण कारण है, जहां महिलाएं कमजोरी और थकान को सामान्य समझकर नजरअंदाज कर देती हैं।
कम अंतराल में गर्भधारण भी शरीर को पूरी तरह स्वस्थ होने का समय नहीं देता, जिससे एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है। इन सभी कारणों से गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
एनीमिया से बचाव के उपाय
कैसे करें बचाव?
गर्भावस्था के दौरान संतुलित आहार लें।
आयरन, फोलिक एसिड और कैल्शियम युक्त भोजन को अपने आहार में शामिल करें।
डॉक्टर द्वारा बताए गए सप्लीमेंट्स का नियमित सेवन करें।
समय-समय पर हीमोग्लोबिन की जांच कराएं।
हरी सब्जियां, दालें, फल और सूखे मेवे खाएं।
किसी भी कमजोरी या थकान को नजरअंदाज न करें और डॉक्टर से सलाह लें.
