गर्भवती महिलाओं के लिए प्रदूषण: स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव

प्रदूषण का स्तर गर्भवती महिलाओं के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है। यह न केवल मां के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि भ्रूण पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। शोध से पता चलता है कि प्रदूषण में मौजूद कणों के कारण समय से पहले प्रसव, कम वजन वाले बच्चे और सांस संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ता है। जानें इस खतरे से कैसे बचा जा सकता है और गर्भवती महिलाओं को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
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गर्भवती महिलाओं के लिए प्रदूषण: स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव

प्रदूषण का गर्भवती महिलाओं पर प्रभाव

गर्भवती महिलाओं के लिए प्रदूषण: स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव

प्रदूषण का गर्भवती महिलाओं पर असर


वर्तमान में प्रदूषण का स्तर अत्यधिक चिंताजनक है, और इसका गर्भवती महिलाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। यह स्थिति मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा किए गए अध्ययन में बताया गया है कि पीएम 2.5 जैसे प्रदूषक कण गर्भवती महिलाओं और उनके भ्रूण के फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।


विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्टों के अनुसार, प्रदूषित वायु में लंबे समय तक रहने वाली गर्भवती महिलाओं में समय से पहले प्रसव, कम वजन वाले बच्चों का जन्म, और जन्म के बाद सांस संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, प्रदूषण बच्चों में अल्जाइमर जैसी बीमारियों के जोखिम को भी बढ़ा सकता है। गर्भवती महिलाओं को अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। प्रदूषण के कण फेफड़ों में जाकर रक्त में मिल जाते हैं, जिससे हृदय और मस्तिष्क को भी नुकसान होता है। यह भ्रूण तक पहुंचकर बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।


डीएनए में बदलाव का खतरा

अध्ययन में यह भी पाया गया है कि जो महिलाएं प्रदूषण के संपर्क में अधिक समय बिताती हैं, उनके बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी अधिक जोखिम होता है। इन महिलाओं में उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और सूजन जैसी समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है।


दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. सलोनी चड्ढा का कहना है कि प्रदूषण के कारण मां के शरीर में जमा विषाक्त पदार्थ भ्रूण के डीएनए में परिवर्तन कर सकते हैं, जिससे बच्चे को अस्थमा या एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।


इसके अलावा, जन्म के बाद जो बच्चे प्रदूषित वातावरण में रहते हैं, उन्हें बढ़ती उम्र में सांस संबंधी समस्याएं, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।


इस खतरे से कैसे बचें

जब प्रदूषण का स्तर अधिक हो, तो गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।


N95 या N99 मास्क का उपयोग करना चाहिए।


घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।


पानी, फल और हरी सब्जियों का सेवन बढ़ाएं ताकि शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकल सकें।