गरुड़ की कहानी: आलस्य से सफलता की ओर

गरुड़ और उसके बच्चे
एक बार एक गरुड़ ने अपने दो बच्चों को अपनी पीठ पर बैठाकर सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। वहाँ दोनों बच्चे दिनभर दाना चुगते रहे। शाम को गरुड़ वापस आया और अपने बच्चों को लेकर घर लौट गया।
आलस्य का परिणाम
यह रोज़ का क्रम था। बच्चों ने सोचा कि जब उनके पिता उन्हें अपनी पीठ पर ले जाते हैं, तो उन्हें उड़ने की आवश्यकता नहीं है। गरुड़ को यह समझ में आ गया कि उसके बच्चे आलसी हो गए हैं और वे उड़ना सीखने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। एक दिन, उसने दोनों को अपनी पीठ पर बैठाया और ऊँचाई पर उड़ान भरी। फिर उसने बच्चों को गिरा दिया।
उड़ने की सीख
जैसे ही बच्चे गिरने लगे, उन्होंने अपने पंख फड़फड़ाने शुरू कर दिए और उन्हें यह एहसास हुआ कि उड़ना सीखना कितना आवश्यक है। किसी तरह, उन्होंने अपनी जान बचाई और शाम को घर लौटकर अपनी माँ से कहा कि उनके पिता की वजह से उनकी जान जा सकती थी।
माँ की समझदारी
बच्चों की माँ ने उन्हें समझाया कि उनके पिता उन्हें मारना नहीं चाहते थे, बल्कि वे उन्हें उड़ना सिखाना चाहते थे। आलस्य के कारण वे उड़ने की कोशिश नहीं कर रहे थे। माँ ने कहा कि निरंतर अभ्यास से वे ऊँचाई तक उड़ सकते हैं और उनकी पहचान इसी से होती है।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हर व्यक्ति को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मेहनत करनी चाहिए। आलस्य करने वाले लोग जीवन में कभी सफल नहीं हो पाते। इसलिए, आलस्य को छोड़कर अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ना चाहिए।