गरबा कार्यक्रमों में केवल हिंदुओं की एंट्री पर विवाद, केंद्रीय मंत्री का बयान
नवरात्रि के आगमन से पहले विश्व हिंदू परिषद द्वारा गरबा कार्यक्रमों में केवल हिंदुओं को प्रवेश देने की सलाह ने विवाद खड़ा कर दिया है। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है, चेतावनी दी है कि इससे समाज में हिंसा फैल सकती है। इस विवाद में बजरंग दल का भी हाथ है, जिसने आयोजकों को कुछ नियमों का पालन करने के लिए कहा है। विपक्षी दलों ने इसे भेदभावपूर्ण करार दिया है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
Sep 21, 2025, 14:00 IST
|

गरबा विवाद पर केंद्रीय मंत्री का बयान

नवरात्रि के आगमन से पहले विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा गरबा आयोजनों को लेकर दिए गए निर्देशों ने एक नया विवाद उत्पन्न कर दिया है। VHP ने आयोजकों को सलाह दी है कि केवल हिंदुओं को ही कार्यक्रम में प्रवेश दिया जाए और पहचान सुनिश्चित करने के लिए आधार कार्ड की जांच की जाए। इस पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आह्वान से समाज में हिंसा भड़क सकती है और त्योहार का माहौल बिगड़ सकता है।
गरबा-डांडिया कार्यक्रमों पर नया विवाद
नवरात्रि का पर्व 22 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। इस बार मुंबई और महाराष्ट्र के कई नवरात्रि मंडलों में गरबा और डांडिया कार्यक्रमों को लेकर विवाद बढ़ गया है। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने आयोजकों से कहा है कि पंडालों में केवल हिंदुओं को ही प्रवेश दिया जाए। संगठनों ने कुछ नियम भी बताए हैं, जिनमें गरबा में आने वाले युवाओं से आधार कार्ड दिखाने की मांग की गई है।
VHP और बजरंग दल का आरोप
मुंबई के मालाड वेस्ट में नवरात्रि उत्सव मंडल ने पूरे परिसर में ऐसे पोस्टर्स लगाए हैं, जिनमें मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक और लव जिहाद के खिलाफ संदेश दिए गए हैं। इन पोस्टर्स में स्पष्ट लिखा गया है कि लव जिहाद करने वाले मुस्लिमों की एंट्री बैन है। बजरंग दल और विहिप का आरोप है कि गैर हिंदू, खासकर मुस्लिम युवक, नकली नाम से गरबा में आते हैं और हिंदू लड़कियों को लव जिहाद के जाल में फंसाते हैं।
पकड़े जाने पर पुलिस को सौंपा जाएगा
संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि कोई मुस्लिम युवक गरबा में पकड़ा गया, तो उसे तुरंत पुलिस के हवाले कर दिया जाएगा। इसके अलावा, गरबा पंडाल के आसपास मटन और मीट की दुकानों को बंद करने की मांग भी की गई है।
विपक्षी दलों का विरोध
जहां कुछ लोग इन नियमों का समर्थन कर रहे हैं, वहीं विपक्षी दलों और समाज के एक हिस्से ने इसे भेदभाव और विभाजन की राजनीति करार दिया है। उनका कहना है कि संविधान सभी को समान अधिकार देता है, ऐसे में किसी धार्मिक कार्यक्रम में जाति-धर्म के आधार पर रोक लगाना गलत है। कई पंडाल समितियों ने पुलिस से अनुमति ली है, लेकिन यदि किसी स्थान पर तनाव बढ़ता है, तो प्रशासन हस्तक्षेप कर सकता है। फिलहाल, पुलिस और स्थानीय अधिकारी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं ताकि त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से मनाया जा सके।