गणेश चतुर्थी 2025: पूजा का समय और महत्व

गणेश चतुर्थी 2025 पूजा का समय
गणेश चतुर्थी 2025 पूजा का समय: गणेश चतुर्थी का पर्व बुधवार, 27 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन उपवास रखकर और गणेशजी की विधिपूर्वक पूजा करके जीवन की सभी बाधाओं को दूर किया जा सकता है, और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। यह दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश का जन्मदिन माना जाता है, और गणेश उत्सव 11 दिनों तक चलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी पर उपवास और पूजा करने से धन, ज्ञान, संतान सुख, विवाह और कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेशजी की पूजा और स्थापना केवल दोपहर में ही क्यों की जाती है? इसके पीछे शास्त्रीय और पौराणिक दोनों आधार हैं।
गणेश पूजा केवल दोपहर में क्यों की जाती है?
गणेश चतुर्थी के दिन जो उपवास रखा जाता है, उसे मध्याह्न उपवास कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, चतुर्थी तिथि की पूजा सूर्योदय से लेकर दोपहर 12 बजे से 2 बजे के बीच करना सबसे अच्छा माना जाता है। इसलिए गणेशजी की पूजा और स्थापना केवल दोपहर में की जाती है। मध्याह्न को सूर्य का स्थिर और प्रबल समय माना जाता है। गणेश को पहले देवता और पहले पूजनीय माना जाता है; इसलिए, उन्हें सूर्य के प्रभावी समय में पूजा करने का निर्देश दिया गया है। यह समय अभिजीत मुहूर्त के समान फलदायी होता है।
उनका जन्म दोपहर में हुआ था
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म दोपहर में हुआ था, इसलिए इस समय की गई पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है और जन्म समय की पूजा होती है। ग्रहों के दोष और बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए गणपति की पूजा का सबसे अच्छा समय दोपहर कहा जाता है, क्योंकि इस समय चंद्रमा का प्रभाव स्थिर होता है और बुद्धि (ग्रह बुध) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए, दोपहर में गणेश की स्थापना और पूजा करना शुभ और फलदायी माना जाता है।
गणेश की पूजा केवल बुधवार को क्यों की जाती है?
गणेश की पूजा केवल बुधवार को क्यों की जाती है, इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार, जब माता पार्वती गणेश को मिट्टी से बना रही थीं, उस समय भगवान बुधदेव कैलाश पर्वत पर उपस्थित थे। जब बुधदेव ने विघ्नहर्ता गणपति को देखा, तो वे बहुत प्रसन्न हुए और अपने दिन यानी बुधवार को गणेशजी को समर्पित कर दिया। यही कारण है कि गणेशजी की पूजा करने से कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत होती है।
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