खाली घोंसले की भावना से निपटने के उपाय

खाली घोंसले की भावना: एक सामान्य अनुभव
जब बच्चे बड़े होकर पढ़ाई या करियर के लिए घर से बाहर जाते हैं, तो माता-पिता को एक खाली घोंसले की भावना का अनुभव होता है। यह स्थिति एक सामान्य भावनात्मक प्रतिक्रिया है, न कि कोई बीमारी। यह विशेष रूप से उन माता-पिता को प्रभावित करती है, जिनकी पहचान और दिनचर्या बच्चों की देखभाल के चारों ओर घूमती है। ऐसे में, आपको अपने आप को कैसे तैयार करना चाहिए और बच्चों के साथ अपने रिश्ते को नया आकार कैसे देना चाहिए?

भावनात्मक रूप से तैयार रहें
यह समझना आवश्यक है कि बच्चे का विकास उनके करियर और व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक है। माता-पिता को इस बदलाव के लिए भावनात्मक रूप से तैयार रहना चाहिए। जब आप स्वीकार करते हैं कि बच्चे का जाना उनके विकास के लिए आवश्यक है, तो आप इस बदलाव को सकारात्मक रूप से देख पाएंगे।
अपनी जिंदगी को फिर से बनाएं
अब तक, आपने अपनी पूरी जिंदगी बच्चों के चारों ओर बिताई है। अब जब वे अपनी उड़ान के लिए निकल गए हैं, तो इसे दुख के बजाय एक अवसर के रूप में देखें। बच्चों को वापस खींचने के बजाय, खुद आगे बढ़ें। यह समय है जब आप अपने शौक, लक्ष्यों और नई दिनचर्या पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ समय बिताएं। अपने साथी के साथ अपने रिश्ते को मजबूत करें। एक साथ टहलें, योग करें, या किसी सामान्य रुचि की गतिविधि शुरू करें। जब आप खुश और व्यस्त रहेंगे, तो बच्चों पर आपकी निर्भरता कम होगी, और वे आपको देखकर खुश होंगे।
रिश्ते को मजबूत बनाने के तरीके
जब बच्चे छुट्टियों या त्योहारों पर आते हैं, तो घर हरा-भरा लगता है। लेकिन इन कुछ दिनों में, वे केवल थोड़ा समय आपके साथ बिता सकते हैं। अधिकतर समय वे दोस्तों और अपने काम में बिताते हैं। इस दौरान, ध्यान रखें कि बच्चों के साथ बिताए गए समय की मात्रा से ज्यादा उसकी गुणवत्ता महत्वपूर्ण है। जब भी आप साथ हों, एक ऐसा माहौल बनाएं जहां वे बिना किसी डर या प्रतिबंध के अपने विचार साझा कर सकें। एक-दूसरे को सुनें और समझें। माता-पिता बनने का असली उद्देश्य एक ऐसा रिश्ता बनाना है जहां दोनों, बच्चा और माता-पिता, सुरक्षित महसूस करें। एक ऐसा बंधन जिसमें प्यार, सम्मान और आपसी समझ हो। जब बच्चा माता-पिता के जीवन में सुरक्षित और महत्वपूर्ण महसूस करता है, तो यह रिश्ता लंबे समय तक चलता है। बच्चों के प्रति अधिकार जताने के बजाय, माता-पिता को उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
संचार में सुधार करें
जब बच्चे दूर होते हैं, तो संचार बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। बच्चे तकनीकी रूप से सक्षम होते जा रहे हैं, इसलिए इस दूरी को कम करने के लिए तकनीक का उपयोग करें। इंटरनेट मीडिया पर जुड़ें, व्हाट्सएप पर एक पारिवारिक समूह बनाएं, अपनी दैनिक गतिविधियों की विशेष तस्वीरें और वीडियो साझा करें, लेकिन यह भी समझें कि बच्चे हमेशा उपलब्ध नहीं हो सकते। यदि वे फोन का जवाब नहीं देते हैं, तो इसे व्यक्तिगत रूप से न लें। नकारात्मक विचारों से बचें जैसे 'मेरे बच्चे ने मुझे भुला दिया है', 'मैं अब उनके लिए महत्वपूर्ण नहीं हूं' या 'अब वह मुझसे बात करना भी पसंद नहीं करते'। उनसे बात करते समय, उनके दैनिक रूटीन के बारे में पूछें और उन्हें महसूस कराएं कि आप बिना किसी निर्णय के उन्हें सुन रहे हैं।
पेशेवर मदद लेने में संकोच न करें
यदि आप बहुत अकेला और उदास महसूस कर रहे हैं और चीजों को संभालने में असमर्थ हैं, तो पेशेवर मदद लेने में संकोच न करें। एक मनोवैज्ञानिक से बात करने से आपको इस स्थिति से बाहर निकलने में मदद मिल सकती है। बच्चों का घर छोड़ना जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा है। यह माता-पिता के लिए अपने जीवन में एक नया अध्याय शुरू करने का अवसर है और आप बच्चों के साथ एक मजबूत, स्वस्थ रिश्ता बनाए रख सकते हैं।
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