खातीपुरा बाजार में काली दिवाली: व्यापारियों की बर्बादी का कारण JDA की कार्रवाई

खातीपुरा बाजार में इस बार दिवाली की रौनक गायब है, क्योंकि व्यापारियों ने 'काली दिवाली' मनाने का निर्णय लिया है। JDA की हालिया कार्रवाई ने सैकड़ों दुकानों को तोड़कर व्यापारियों की आजीविका को संकट में डाल दिया है। व्यापार मंडल के अध्यक्ष भवानी सिंह राठौड़ ने बताया कि कई पीढ़ियों का कारोबार प्रभावित हुआ है। इस स्थिति में व्यापारी अब अस्थायी दुकानों के सहारे जीवन यापन कर रहे हैं, लेकिन यह टिकाऊ नहीं है। जानें इस मुद्दे पर व्यापारियों की क्या राय है और कैसे वे इस संकट का सामना कर रहे हैं।
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खातीपुरा बाजार में काली दिवाली: व्यापारियों की बर्बादी का कारण JDA की कार्रवाई

खातीपुरा बाजार में दिवाली की रौनक गायब

हर साल खातीपुरा बाजार में दिवाली के समय एक अद्भुत रौनक होती थी, लेकिन इस बार व्यापारियों ने 'काली दिवाली' मनाने का निर्णय लिया है। खातीपुरा व्यापार मंडल ने स्पष्ट किया है कि झारखंड मोड़ से खातीपुरा तिराहे तक कोई सजावट या रोशनी नहीं की जाएगी।


व्यापारियों की चिंता

दुकानदारों का कहना है कि जब उनका व्यापार ही खत्म हो गया है, तो रोशनी का क्या मतलब। हाल ही में जेडीए द्वारा की गई कार्रवाई ने व्यापारियों की वर्षों की मेहनत को बर्बाद कर दिया है। झारखंड मोड़ से खातीपुरा तिराहे तक लगभग 105 दुकानों को अतिक्रमण के नाम पर तोड़ दिया गया है, जिससे सैकड़ों परिवारों की आजीविका संकट में आ गई है।


दशकों पुरानी दुकानों का नुकसान

जिन दुकानों को तोड़ा गया, उनमें से कई वर्षों से चल रही थीं और पीढ़ियों का कारोबार जुड़ा था। खातीपुरा व्यापार मंडल के अध्यक्ष भवानी सिंह राठौड़ ने कहा कि वह 1994 से अध्यक्ष हैं, लेकिन पहली बार ऐसा देख रहे हैं कि व्यापारी पूरी तरह से बर्बादी की कगार पर हैं। जिन दुकानों को तोड़ा गया, उनमें से मुश्किल से 10-15 ने दोबारा शुरुआत की है।


अस्थायी दुकानों का संकट

कुछ दुकानदारों ने अपने मकानों के पीछे अस्थायी रूप से दुकानें शुरू की हैं, लेकिन यह कारोबार टिकाऊ नहीं है और पहले जैसी रौनक नहीं ला पा रहा है। जिन परिवारों का जीवन व्यापार पर निर्भर था, वे अब आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं।


खातीपुरा बाजार की पहचान

खातीपुरा बाजार जयपुर के प्रमुख व्यावसायिक केंद्रों में से एक है, जहां लगभग 3500 व्यापारी जुड़े हुए हैं। यह बाजार खातीपुरा तिराहे से झारखंड मोड़ तक फैला हुआ है और यहां कपड़े, किराना, स्टेशनरी, इलेक्ट्रॉनिक सामान और रोजमर्रा की जरूरत की सैकड़ों दुकानें हैं। दिवाली, होली और अन्य त्योहारों के समय यहां भारी भीड़ होती थी।


राजनीतिक दखल का आरोप

व्यापारियों का आरोप है कि इस कार्रवाई के पीछे राजनीतिक दबाव भी है। अध्यक्ष भवानी सिंह राठौड़ ने कहा कि हम दुकानों को बचाने में असमर्थ रहे, जबकि विधायक गोपाल शर्मा भी हमारे साथ थे। मामला राजनीति में उलझ गया और इसका खामियाजा व्यापारियों को भुगतना पड़ा।


दिवाली का अंधेरा

जब पूरा शहर दिवाली की रौशनी में डूबा होगा, तब खातीपुरा बाजार अंधेरे में रहेगा। यह अंधेरा केवल दुकानों का नहीं, बल्कि हमारे जीवन का अंधेरा है।


व्यापारियों की आवाज

अचल भारद्वाज, दुकानदार
समझ नहीं आ रहा है कि व्यापारी क्या करें। पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं, सब कुछ खत्म हो गया है। 40-50 साल से दुकानें थीं, सारे कागजात थे, लेकिन सब को अतिक्रमण के नाम पर तोड़ दिया गया। अब हम काली दिवाली मनाकर विरोध करेंगे।


खातीपुरा व्यापार मंडल का बयान

भवानी सिंह राठौड़
अध्यक्ष, खातीपुरा व्यापार मंडल

राजधानी जयपुर में केवल एक ऐसा बाजार होगा, जहां इस बार काली दीपावली मनाई जाएगी। जेडीए ने सड़क चौड़ी करने के नाम पर दुकाने तोड़ दीं, लेकिन इसके बाद कोई सड़क चौड़ी नहीं हुई।