खर्राटों की समस्या: कारण और समाधान

खर्राटों के कारण और स्वास्थ्य पर प्रभाव
खर्राटे मुख्यतः मुंह से सांस लेने और जीभ तथा टॉन्सिल के पीछे की सॉफ्ट पैलेट में कंपन के कारण होते हैं। यह केवल एक ध्वनि नहीं है, बल्कि यह एक स्वास्थ्य समस्या भी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। खर्राटे अक्सर नींद में व्यवधान का संकेत देते हैं, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
यदि स्लीप ऐप्निया का इलाज नहीं किया जाता है, तो यह उच्च रक्तचाप का कारण बन सकता है। इससे दिल का आकार बढ़ सकता है और दिल के दौरे तथा स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। जीवनशैली की आदतें इस स्थिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जिन्हें सुधारने की आवश्यकता होती है। शराब, धूम्रपान और कुछ दवाएं गले की मांसपेशियों को ढीला कर सकती हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है।
खर्राटों के संभावित कारण
खराटों के कुछ सामान्य कारण इस प्रकार हैं:
– टॉन्सिल या ऐडिनॉयडस का बड़ा होना
– नाक के साइनस में जमाव
– नाक की झिल्ली का टेढ़ा होना
– नेजल पालिप्कस
– पीठ के बल सोना, जिससे जीभ सांस की नली को बाधित कर देती है।
– उम्र बढ़ने के साथ गले की मांसपेशियों का ढीला होना।
– शराब या अन्य दवाएं, जो मांसपेशियों को कमजोर कर सकती हैं।
खर्राटों से बचने के उपाय
खराटों के कारणों का पता लगाकर उचित कदम उठाएं:
– करवट लेकर सोने से जीभ सांस को बंद नहीं करती, जिससे खर्राटे कम होते हैं।
– विशेष तकिया का उपयोग करें, जो गर्दन को सहारा देता है और खर्राटों को रोकने में मदद करता है।
– वजन कम करें, विशेषकर पेट का।
– धूम्रपान छोड़ें, क्योंकि यह नाक और गले में जलन पैदा करता है।
– यदि आप नकली दांत लगाते हैं, तो सोते समय उन्हें निकाल दें।
खराटों का घरेलू और आयुर्वेदिक इलाज
इस विडियो में भाई राजीव दीक्षित जी से जानिए खराटे का घरेलू और आयुर्वेदिक इलाज >>