खर्राटे: स्वास्थ्य के लिए गंभीर संकेत और समाधान

खर्राटे: एक सामान्य समस्या या गंभीर स्वास्थ्य खतरा?
भारत में खर्राटे लेना एक सामान्य समस्या मानी जाती है, लेकिन इसके बारे में कई भ्रांतियाँ फैली हुई हैं। एक प्रसिद्ध कहावत है, "अगर कोई खर्राटे ले रहा है, तो वह गहरी नींद में है।" हालांकि, डॉ. शिवानी स्वामी, जो पल्मोनोलॉजी, एलर्जी और स्लीप मेडिसिन की एचओडी हैं, बताती हैं कि यह केवल एक मिथक है। यह सोच लोगों को इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या को समझने से रोकती है।
खर्राटों के संभावित कारण
डॉ. शिवानी स्वामी के अनुसार, खर्राटे लेना एक चिकित्सा विकार हो सकता है, जिसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे नाक में रुकावट, साइनस की समस्याएँ, या सबसे गंभीर स्थिति, स्लीप एपनिया।
खर्राटों का प्रभाव
डॉ. स्वामी बताती हैं कि खर्राटों का प्रभाव केवल उस व्यक्ति पर नहीं होता जो उन्हें ले रहा है, बल्कि इसके साथी की नींद और मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आजकल भारत में "स्लीप डाइवोर्स" की बातें भी सुनने को मिलती हैं, जहाँ पति-पत्नी अलग-अलग सोते हैं क्योंकि एक को दूसरे के खर्राटों से नींद नहीं आती।
छिपे हुए खतरे
यदि खर्राटे स्लीप एपनिया के कारण हो रहे हैं और उनका इलाज नहीं किया गया, तो इससे कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं, जैसे उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक, हृदय रोग, अनियंत्रित मधुमेह, और हृदय की धड़कन में गड़बड़ी। डॉ. शिवानी का मानना है कि खर्राटों को हल्के में लेना जानलेवा हो सकता है।
समाधान
इसलिए, यदि कोई व्यक्ति खर्राटे ले रहा है, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उन्हें अपनी नींद से संबंधित चिकित्सा जांच करवानी चाहिए। डॉ. शिवानी का कहना है कि सही निदान और समय पर उपचार से न केवल नींद में सुधार किया जा सकता है, बल्कि कई गंभीर बीमारियों को भी रोका जा सकता है।