क्रेडिट कार्ड के उपयोग पर इनकम टैक्स विभाग की बढ़ती नजरें

हाल ही में एक व्यक्ति को अपने क्रेडिट कार्ड से जुड़े लेनदेन के लिए आयकर विभाग से नोटिस मिला है। उसने अपने दोस्तों के खर्चों का भुगतान अपने कार्ड से किया था, जिससे विभाग को संदेह हुआ। इस लेख में जानें कि कैसे क्रेडिट कार्ड के उपयोग पर आयकर विभाग की नजर बढ़ रही है और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। क्या आप भी ऐसे जोखिमों से बच सकते हैं?
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क्रेडिट कार्ड के उपयोग पर इनकम टैक्स विभाग की बढ़ती नजरें

क्रेडिट कार्ड का मामला चर्चा में

क्रेडिट कार्ड के उपयोग पर इनकम टैक्स विभाग की बढ़ती नजरें

क्रेडिट कार्ड

हाल ही में एक मामला सामने आया है जिसमें एक व्यक्ति को अपने क्रेडिट कार्ड से जुड़े लेनदेन के लिए आयकर विभाग से नोटिस मिला। इस व्यक्ति ने अपने कार्ड से 50 लाख रुपये से अधिक खर्च किए, जबकि उसने कभी भी आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया था।

जांच में यह सामने आया कि वह अपने दोस्तों के खर्चों का भुगतान अपने क्रेडिट कार्ड से करता था, ताकि उसे रिवॉर्ड और कैशबैक मिल सके। इसे आमतौर पर कार्ड रोटेशन कहा जाता है। लेकिन जब सिस्टम ने देखा कि खर्च बहुत अधिक है और उसके मुकाबले कोई आय नहीं है, तो आयकर विभाग को संदेह हुआ और मामला जांच के लिए उठाया गया। इसके बाद, विभाग ने बिना स्रोत के खर्च को मानते हुए नोटिस जारी किया।


क्रेडिट कार्ड पेमेंट पर बढ़ती जांच

वर्तमान में, क्रेडिट कार्ड पेमेंट से संबंधित ऐसे नोटिस बढ़ते जा रहे हैं। सामान्यतः खरीदारी पर मिलने वाले रिवॉर्ड डिस्काउंट पर टैक्स नहीं लगता, लेकिन यदि कैशबैक या रिवॉर्ड को पैसे में परिवर्तित किया जाए और उसकी कुल राशि साल भर में 50,000 रुपये से अधिक हो जाए, तो यह टैक्स के दायरे में आ सकता है। जब क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट प्रस्तुत किए जाते हैं, तो उनमें दिखने वाले बड़े कैशबैक भी टैक्स की समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं।


टैक्स विभाग को जानकारी कैसे मिलती है

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 285BA के तहत, बैंकों और वित्तीय संस्थानों को साल में 10 लाख रुपये से अधिक के बड़े लेनदेन की जानकारी आयकर विभाग को देनी होती है। इसमें क्रेडिट कार्ड से किए गए भुगतान की जानकारी शामिल होती है, लेकिन यह नहीं बताया जाता कि खर्च किस पर हुआ। इसका मतलब है कि यदि आप किसी दोस्त के लिए भुगतान करते हैं, तो वह आपके PAN से जुड़ जाता है और विभाग मानता है कि खर्च आपने किया है, जब तक आप इसे साबित नहीं करते।


सेक्शन 69C कब लागू होता है

यदि क्रेडिट कार्ड से किया गया खर्च आपकी घोषित आय से मेल नहीं खाता है, तो आयकर विभाग धारा 69C लागू कर सकता है। इसके तहत, जिस खर्च का सही स्रोत नहीं बताया जा सकता, उसे आपकी आय मानकर टैक्स लगाया जा सकता है। ऐसे मामलों में राहत मिलना कठिन होता है और अक्सर मामला ट्रिब्यूनल तक पहुंचता है। इसलिए, बेहतर है कि शुरुआत से ही ऐसे जोखिमों से बचा जाए।


दोस्तों के लिए भुगतान महंगा पड़ सकता है

यदि कोई व्यक्ति अपने दोस्तों के खर्च का भुगतान अपने कार्ड से करता है, तो उसे हर लेनदेन का पूरा रिकॉर्ड रखना आवश्यक है। यह दिखाना भी जरूरी है कि पैसे कहां से आए। यदि दोस्त ने कैश में पैसे लौटाए, तो सबूत की कड़ी टूट जाती है। इसके अलावा, यदि 50,000 रुपये से अधिक की राशि परिवार के सदस्यों के अलावा किसी अन्य से मिलती है, तो इसे गिफ्ट मानकर टैक्स लगाया जा सकता है। इसलिए, केवल यह कहना पर्याप्त नहीं है कि खर्च दोस्त का था, बल्कि इसे साबित करना भी आवश्यक है, जैसे दोस्त के नाम का बिल, बैंक ट्रांसफर और रीइंबर्समेंट का रिकॉर्ड।