क्रिसमस का पर्व: 25 दिसंबर को मनाने का रहस्य
क्रिसमस का महत्व
क्रिसमस की कहानीImage Credit source: Freepik
क्रिसमस का पर्व कब और क्यों मनाया जाता है: हर वर्ष 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन ईसाइयों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, क्रिसमस ट्री लगाते हैं, एक-दूसरे को उपहार देते हैं और खुशियों की कामना करते हैं। लेकिन यह सवाल अक्सर उठता है कि 25 दिसंबर को ही क्रिसमस क्यों मनाया जाता है?
कहा जाता है कि 25 दिसंबर को क्रिसमस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि ईसाई मानते हैं कि इसी दिन यीशु मसीह का जन्म हुआ था। हालांकि, बाइबल में यीशु के जन्म की सही तारीख का उल्लेख नहीं है, लेकिन चौथी शताब्दी में रोम के सम्राट कॉन्सटेंटाइन ने इसे आधिकारिक रूप से यीशु के जन्मदिन के रूप में स्वीकार किया। इसके बाद से ईसाई समुदाय में 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाने की परंपरा शुरू हुई।
यीशु का जन्म कैसे हुआ
यीशु के जन्म की कहानी
प्राचीन मान्यता के अनुसार, ईश्वर के एक दूत ग्रैबियल ने एक युवती मैरी के पास जाकर उन्हें बताया कि उन्हें ईश्वर के पुत्र को जन्म देना है, जबकि उस समय मैरी कुंवारी थीं। समय बीतने के बाद, मैरी का विवाह जोसेफ नामक युवक से हुआ। फिर एक रात, ग्रैबियल ने मैरी को सपने में बताया कि वह जल्द ही गर्भवती होंगी और उनका पुत्र प्रभु यीशु होगा। उस समय मैरी नाज़रेथ में रह रही थीं।
अस्तबल में जन्म
अस्तबल में हुआ जन्म
एक बार जोसेफ और मैरी को बैथलेहम जाना पड़ा। उस समय वहां बहुत से लोग थे, जिससे धर्मशालाओं में जगह नहीं मिल रही थी। अंततः उन्हें एक अस्तबल में ठहरने का स्थान मिला। वहीं आधी रात को प्रभु यीशु का जन्म हुआ। बाद में यीशु ने गलीलिया में घूम-घूमकर उपदेश दिए।
इस यात्रा के दौरान यीशु को अनेक यातनाएं सहनी पड़ीं और अंततः उन्हें क्रूस पर लटकाकर मार दिया गया। जब उन्हें क्रूस पर लटकाया जा रहा था, तब उन्होंने कहा, ‘हे पिता, इन लोगों को माफ कर दें क्योंकि ये नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।’
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