क्रिकेट से सिनेमा की ओर: मिखाइल वासवानी का नया सफर

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की वार्षिक बैठक
हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) की 2025 वार्षिक बैठक खेल उद्योग में चर्चा का विषय बन गई। इस सम्मेलन में 108 सदस्य देशों ने भाग लिया, जहां क्रिकेट के अगले दशक की योजनाओं पर चर्चा की गई। जय शाह की अध्यक्षता में चार दिवसीय बैठक में कार्यक्रम निर्धारण, वैश्विक टूर्नामेंटों का विस्तार और प्रशंसकों को जोड़ने के लिए नवाचारों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
हालांकि, इस बैठक में एक अप्रत्याशित विषय भी उभरा। यह खबर थी कि लंबे समय तक कमेंटेटर रहे मिखाइल वासवानी सिनेमा की दुनिया में कदम रख रहे हैं।
इस कार्यक्रम के दौरान, मिखाइल वासवानी ने राहुल द्रविड़ और महेला जयवर्धने के साथ एक महत्वपूर्ण सत्र का संचालन किया। इसके तुरंत बाद, उनके फिल्मी सफर की चर्चा मीडिया और खेल प्रेमियों के बीच गर्म हो गई। नेटिज़न्स इस पर बहस कर रहे हैं कि क्या कमेंट्री से अभिनय में सफलतापूर्वक संक्रमण किया जा सकता है। कुछ के लिए, कमेंट्री मनोरंजन का एक स्वाभाविक तरीका है।
मिखाइल ने एक मलयालम फिल्म 'आई एम गेम' में अभिनय किया है, जिसे वेफेयर फिल्म्स के बैनर तले बनाया गया है। इस फिल्म में एक्शन कोरियोग्राफी अनबरिव मास्टर्स द्वारा की गई है, जो KGF और लियो जैसी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। यह फिल्म दुलकर सलमान के लिए एक मील का पत्थर साबित होने की उम्मीद है, जिसमें उच्च-ऑक्टेन एक्शन और कहानी का मिश्रण है।
भारत और एशिया में क्रिकेट और सिनेमा का एक अनूठा स्थान है। ये दोनों क्षेत्र अक्सर एक-दूसरे के दर्शकों और सांस्कृतिक स्थान को साझा करते हैं। वासवानी की फिल्म में एंट्री ने यह दिखाया है कि खेल आयोजनों का मनोरंजन समाचारों के साथ बढ़ता हुआ संबंध है।
यह पहली बार नहीं है जब खेल पेशेवर या प्रसारकों ने फिल्म में कदम रखा है। अतीत में, पूर्व खिलाड़ी, एंकर और यहां तक कि रेफरी भी सिनेमा में जगह बना चुके हैं। ये बदलाव अक्सर उस व्यक्ति की क्षमता पर निर्भर करते हैं जो दर्शकों से जुड़ता है।
आज के खेल उद्योग में केवल मैचों पर निर्भर नहीं है, बल्कि व्यक्तित्वों पर भी निर्भर करता है। एक कमेंटेटर का फिल्म में आना इस बात का संकेत है कि लाइव स्पोर्ट्स कवरेज और स्क्रिप्टेड एंटरटेनमेंट के बीच की सीमाएं धुंधली होती जा रही हैं।
भारत में क्रिकेट और सिनेमा का प्रेम हमेशा intertwined रहा है। खिलाड़ियों की बायोपिक्स से लेकर फिल्मों में क्रिकेटरों के कैमियो तक, हमने इसे देखा है। कमेंटेटर का सिनेमा में कदम रखना एक नया पहलू है।