क्या मेट्रो सिटी में घर खरीदना समझदारी है या किराए पर रहना बेहतर विकल्प?

क्या मेट्रो सिटी में घर खरीदना समझदारी है या किराए पर रहना बेहतर विकल्प? एक रेडिट यूजर के पोस्ट ने इस विषय पर बहस छेड़ी है। जानें कि कैसे भारी ईएमआई और किराए के बीच सही निर्णय लेना मुश्किल हो सकता है। क्या निवेश करना बेहतर है? इस लेख में जानें वित्तीय सुझाव और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं।
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क्या मेट्रो सिटी में घर खरीदना समझदारी है या किराए पर रहना बेहतर विकल्प?

घर खरीदने बनाम किराए पर रहने का दुविधा

क्या मेट्रो सिटी में घर खरीदना समझदारी है या किराए पर रहना बेहतर विकल्प?


अपना खुद का घर खरीदने या किराए पर रहने का निर्णय, विशेषकर मेट्रो शहरों में, एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। जहां एक ओर घर खरीदने पर हर महीने भारी ईएमआई चुकानी पड़ती है, वहीं दूसरी ओर किराए पर रहने से पैसे की बचत होती है।


इस विषय पर हाल ही में एक रेडिट यूजर ने एक पोस्ट साझा किया, जिसने इस मुद्दे पर बहस को जन्म दिया।


आजकल यह सवाल हर मध्यम वर्गीय व्यक्ति के मन में उठता है कि क्या लोन लेकर घर खरीदना सही है या किराए पर रहकर पैसे बचाना और निवेश करना बेहतर है। रेडिट पर एक पोस्ट में यूजर ने कहा कि बड़े शहरों में फ्लैट खरीदना आर्थिक दृष्टि से गलत हो सकता है, और लोग अक्सर सामाजिक दबाव में आकर ऐसा करते हैं। इसके साथ ही, उन्होंने घर खरीदने और किराए पर रहने के लिए वित्तीय सुझाव भी दिए।


क्या भारी EMI या कम किराया सही विकल्प है?

रेडिट यूजर ने बताया कि मुंबई, बेंगलुरु या दिल्ली जैसे मेट्रो शहरों में एक साधारण 2BHK फ्लैट की कीमत कम से कम 1.5 करोड़ रुपये होती है। ऐसे में 20% डाउन पेमेंट यानी लगभग 30 लाख रुपये देने के बाद भी, आपको 1.2 करोड़ रुपये का लोन लेना पड़ेगा। मौजूदा ब्याज दरों के अनुसार, हर महीने लगभग ₹80,000 की ईएमआई बनती है, जो 20 साल या उससे अधिक समय तक चल सकती है। यूजर ने कहा कि इस लंबे समय में आप फ्लैट की असली कीमत से कहीं ज्यादा ब्याज के रूप में चुका देते हैं। जब तक लोन चुकता नहीं होता, आप बैंक के किरायेदार बने रहते हैं।


क्या फ्लैट किराए पर लेकर निवेश करना सही है?

रेडिट यूजर ने सुझाव दिया कि आप इतने महंगे फ्लैट को लगभग 30,000 से 35,000 रुपये के किराए पर ले सकते हैं, जिससे हर महीने 40,000 से 50,000 रुपये की बचत हो सकती है। इस बचत को आप म्यूचुअल फंड, SIP या शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं, जिससे 10-15 साल में अच्छा रिटर्न मिल सकता है। यूजर ने बताया कि यदि आपकी नौकरी चली जाती है या कोई आर्थिक संकट आता है, तो आप कर्ज के दबाव में नहीं आते, जो ईएमआई वाले लोगों के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।


सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़

इस पोस्ट के बाद रेडिट पर हजारों प्रतिक्रियाएं आईं। कुछ लोगों ने इस पर पूरी तरह सहमति जताई, उनका मानना था कि वर्तमान समय में वित्तीय सुरक्षा आवश्यक है। उन्होंने कहा कि दो दशक पहले घर खरीदना आसान था, लेकिन आज यह एक बड़ा जोखिम बन चुका है। वहीं, कई लोगों ने इस विचार का विरोध किया और कहा कि इतने महंगे फ्लैट का किराया मेट्रो सिटी में 35,000 रुपये नहीं हो सकता और घर खरीदना केवल पैसे का सौदा नहीं, बल्कि एक भावनात्मक सुरक्षा भी है।


कुछ यूजर्स ने बीच का रास्ता निकालते हुए कहा कि यदि घर खरीदना ही है, तो ऐसी प्रॉपर्टी लें जिसकी ईएमआई आपकी सैलरी का 40-50% से ज्यादा न हो। यदि मेट्रो सिटी में अफॉर्ड नहीं कर सकते, तो किसी टियर 2 या टियर 3 शहर में छोटा फ्लैट लेकर भविष्य के लिए निवेश करें। इस तरह न केवल आपके पास एक प्रॉपर्टी होगी, बल्कि वित्तीय तनाव भी कम रहेगा।