क्या बिना बेहोश किए हार्ट में स्टंट डाला जा सकता है? जानें सुष्मिता सेन के दावे की सच्चाई

अभिनेत्री सुष्मिता सेन ने हाल ही में एक इंटरव्यू में दावा किया कि उन्हें हार्ट अटैक के बाद स्टंट डालते समय बेहोश नहीं किया गया था। यह जानकारी आम धारणा के विपरीत है, जिसमें कहा जाता है कि एंजियोप्लास्टी के दौरान मरीज को बेहोश किया जाता है। इस लेख में, हम विशेषज्ञों से जानेंगे कि क्या वाकई ऐसा संभव है और इस प्रक्रिया के दौरान मरीज की स्थिति क्या होती है। जानें पूरी सच्चाई और विशेषज्ञों की राय।
 | 
क्या बिना बेहोश किए हार्ट में स्टंट डाला जा सकता है? जानें सुष्मिता सेन के दावे की सच्चाई

सुष्मिता सेन का चौंकाने वाला दावा

क्या बिना बेहोश किए हार्ट में स्टंट डाला जा सकता है? जानें सुष्मिता सेन के दावे की सच्चाई

सुष्मिता सेन

हाल ही में एक साक्षात्कार में, अभिनेत्री सुष्मिता सेन ने एक अद्भुत बात साझा की। उनके अनुसार, जब उन्हें हार्ट अटैक के बाद स्टंट डाला गया, तब वे पूरी तरह से होश में थीं और इस प्रक्रिया को देख रही थीं। आमतौर पर, एंजियोप्लास्टी के दौरान मरीज को बेहोश किया जाता है। इस स्थिति में, यह सवाल उठता है कि क्या वास्तव में स्टंट डालने की प्रक्रिया में मरीज होश में रह सकता है, या सुष्मिता का मामला एक अपवाद था। इस विषय पर जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने विशेषज्ञों से चर्चा की।

दिल्ली के राजीव गांधी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अजित जैन ने इस विषय पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्टंट डालने से पहले मरीज के रूटीन टेस्ट किए जाते हैं, जिसमें बीपी, शुगर और अन्य पैरामीटर की जांच की जाती है। यदि रिपोर्ट सामान्य होती है, तो स्टंट डालने की प्रक्रिया शुरू होती है। सबसे पहले, मरीज की जांघ के पास एक छेद किया जाता है, जिसके माध्यम से एक पतली ट्यूब (कैथेटर) को हार्ट तक पहुंचाया जाता है। यह प्रक्रिया एक स्क्रीन पर देखी जाती है।

जब ट्यूब हार्ट तक पहुंच जाती है, तो बैलून के अंदर लगा स्टंट भी हार्ट तक पहुंचता है। बैलून को ब्लॉक हुई नस के पास खोला जाता है, जिससे स्टंट नस में लग जाता है और आसपास की गंदगी बाहर निकल जाती है। इसके बाद, बैलून की हवा निकाल दी जाती है और उसे बाहर निकाल लिया जाता है, जबकि स्टंट वहीं रह जाता है।

इस प्रक्रिया के दौरान मरीज को कुछ घंटों तक डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाता है। आमतौर पर, मरीज को गंभीर दर्द का अनुभव नहीं होता, केवल हल्का सा दर्द होता है, जो कुछ समय बाद कम हो जाता है। मरीज की सेहत के अनुसार अस्पताल से छुट्टी दी जाती है।

क्या हर मरीज को बेहोश नहीं किया जाता?

दिल्ली के अपोलो अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ. वरुण बंसल ने बताया कि अधिकांश मामलों में जनरल एनेस्थीसिया के बिना स्टंट डाले जाते हैं। कुछ मरीज ऐसे होते हैं जो बिना एनेस्थीसिया के स्टंट लगवाना चाहते हैं। ऐसे मामलों में, मरीज को केवल एक इंजेक्शन दिया जाता है, जो जांघ के पास के हिस्से को सुन्न करता है, ताकि ट्यूब डालते समय दर्द न हो।

डॉ. बंसल के अनुसार, केवल बाईपास सर्जरी में जनरल एनेस्थीसिया की आवश्यकता होती है, यानी मरीज को बेहोश किया जाता है। स्टंट डालने में यह तब आवश्यक होता है जब मरीज बुजुर्ग हो या वह बिना बेहोशी के प्रक्रिया नहीं कराना चाहता।