क्या बच्चों को कफ सिरप देना चाहिए? विशेषज्ञों की सलाह

मौसम बदलने पर बच्चों में खांसी और जुकाम की समस्या बढ़ जाती है। इस स्थिति में माता-पिता अक्सर कफ सिरप देने का निर्णय लेते हैं। लेकिन क्या यह सही है? दिल्ली एम्स के विशेषज्ञों ने बताया है कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप देना न तो आवश्यक है और न ही सुरक्षित। जानें बच्चों में कफ की पहचान कैसे करें और कब डॉक्टर से संपर्क करें। इस लेख में कफ सिरप के उपयोग और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सही उपायों पर चर्चा की गई है।
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क्या बच्चों को कफ सिरप देना चाहिए? विशेषज्ञों की सलाह

बच्चों में खांसी और कफ की समस्या

क्या बच्चों को कफ सिरप देना चाहिए? विशेषज्ञों की सलाह

खांसी-कफ और सिरप
Image Credit source: Getty Images

जैसे-जैसे मौसम बदलता है, बच्चों में खांसी और जुकाम की समस्या बढ़ जाती है। तापमान में अचानक गिरावट, ठंडी हवाएं और नमी के कारण वायरस और बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं, जिससे बच्चों की इम्यूनिटी प्रभावित होती है। ऐसे में कई माता-पिता राहत पाने के लिए बच्चों को खांसी की सिरप देने लगते हैं। लेकिन क्या यह सही है? इस पर दिल्ली एम्स के पीडियाट्रिक विभाग के डॉ. हिमांशु बदानी और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा के डॉ. प्रशांत गुप्ता ने अपनी राय दी है।

डॉ. हिमांशु के अनुसार, कई माता-पिता तुरंत कफ सिरप देना शुरू कर देते हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को सामान्य खांसी की सिरप देना न तो आवश्यक है और न ही सुरक्षित। छोटे बच्चों का शरीर इन दवाओं को सही तरीके से मेटाबॉलाइज़ नहीं कर पाता, जिससे उन्हें सुस्ती, उल्टी या सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) भी 2 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कफ सिरप के उपयोग को मना करते हैं।

डॉ. हिमांशु ने बताया कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप देने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है। 5 साल से बड़े बच्चों को भी सिरप बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं देना चाहिए। कई लोग इसे एक मिथक मानते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि सिरप केवल अस्थायी राहत प्रदान करता है, इसलिए पहले समस्या का कारण समझना और फिर डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।

डॉ. प्रशांत ने भी कहा कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को सिरप नहीं देना चाहिए। आयुर्वेद भी सिरप न देने की सलाह देता है। बच्चों को भाप और सितोप्रलादी चूर्ण दिया जा सकता है, जो स्वाद में अच्छा होता है और कफ से राहत भी देता है।

बच्चे में कफ की पहचान कैसे करें?

डॉ. हिमांशु के अनुसार, कभी-कभी बच्चे में बलगम होता है, लेकिन वह खांसी नहीं कर पाता, जिससे कफ अंदर ही जमा रह जाता है। इसके लक्षणों में नाक का लगातार बंद रहना, सांस लेते समय घरघराहट या सीटी जैसी आवाज आना, नींद में बेचैनी, भूख कम लगना या बार-बार गला साफ करना शामिल हैं। यदि बच्चा बहुत छोटा है, तो वह खांसी से बलगम बाहर नहीं निकाल पाता और उसे उल्टी या बेचैनी हो सकती है। कभी-कभी नाक से बहने वाला पारदर्शी म्यूकस गले में जाकर कफ बना देता है। इसलिए खांसी न दिखने पर भी इन संकेतों को नजरअंदाज न करें और समय पर डॉक्टर से संपर्क करें।

बलगम का रंग और गंभीर संक्रमण का संकेत

बलगम का रंग अक्सर बीमारी की प्रकृति के बारे में जानकारी देता है। यदि बलगम पारदर्शी या हल्का सफेद है, तो यह आम वायरल संक्रमण या हल्की ठंड का संकेत है। पीला या हल्का हरा बलगम बताता है कि शरीर संक्रमण से लड़ रहा है और बैक्टीरियल इंफेक्शन की संभावना हो सकती है। गाढ़ा हरा, पीला या बदबूदार बलगम साइनस या चेस्ट इंफेक्शन का संकेत हो सकता है, जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि बलगम में खून की हल्की लकीर दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि यह गले में जलन या किसी गंभीर संक्रमण का संकेत हो सकता है। बलगम की मात्रा और रंग पर ध्यान देना बच्चे की स्थिति को समझने और समय पर इलाज शुरू करने में मदद करता है.