क्या पीएम मोदी का अमेरिका दौरा भारत-अमेरिका संबंधों में सुधार लाएगा?

भारत और अमेरिका के बीच संबंधों की जटिलता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेन्स ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'कठोर वार्ताकार' के रूप में वर्णित किया है। इसका अर्थ है कि मोदी बातचीत में आसानी से हार नहीं मानते और अपने विचारों पर अडिग रहते हैं। जब भी मैं इन नेताओं से यह शब्द सुनता हूं, तो यह सोचने पर मजबूर हो जाता हूं कि अमेरिका के मन में क्या चल रहा है।
हालांकि, अब यह स्पष्ट हो गया है कि अमेरिका को एक मजबूत भारत की बजाय एक पिछलग्गू भारत की आवश्यकता है। इसके साथ ही, भारत विरोधी पाकिस्तान और बांग्लादेश को भड़काने की अमेरिकी चालों का भी सही जवाब मिलना बाकी है। प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा ऐसे व्यवहार को याद रखा है और उचित समय पर जवाब देने में माहिर हैं।
पीएम मोदी की संभावित अमेरिका यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र में भाग लेने के लिए अमेरिका जाने की योजना बना रहे हैं। यह यात्रा महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल के महीनों में भारत और अमेरिका के संबंधों में तनाव आया है। पहले रूस-यूक्रेन संघर्ष और फिर भारत-पाक सीमित संघर्ष ने इन संबंधों को प्रभावित किया है।
यह ध्यान देने योग्य है कि जब ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम कराने का दावा किया, तो भारत ने इसे खारिज कर दिया। भारत ने रूस-चीन के साथ सीधे शत्रुता से भी बचने का प्रयास किया है।
क्या मोदी का दौरा संबंधों में सुधार लाएगा?
सवाल यह है कि क्या पीएम मोदी का अमेरिका दौरा भारत और अमेरिका के बीच जमी बर्फ को पिघला सकेगा? यदि हां, तो क्या यह दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद होगा? ट्रंप की भारत के प्रति नकारात्मकता के पीछे क्या कारण है, जबकि अमेरिका चीन के खिलाफ भारत को एक करीबी साझेदार मानता है?
ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जिससे व्यापार संबंधों में और तनाव बढ़ा है। भारत सरकार ने इस निर्णय को अनुचित बताया है और कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
संयुक्त राष्ट्र महासभा का महत्व
संयुक्त राष्ट्र महासभा का 80वां सत्र 9 सितंबर से शुरू होगा, जिसमें पीएम मोदी 26 सितंबर को भाषण देंगे। इस सत्र में कई देशों के नेता भी भाग लेंगे। पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेन्सकी से मुलाकात की संभावना है, जिसमें व्यापार मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।
इस यात्रा के दौरान, मोदी और ट्रंप के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत होने की उम्मीद है, जो दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंध
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ने के कारण, ट्रंप के पुराने सहयोगी भी इस निर्णय से असहमत हैं। पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा है कि अमेरिका का भारत के प्रति यह रवैया एक बड़ी कूटनीतिक भूल साबित हो सकता है।
इसलिए, यह देखना दिलचस्प होगा कि पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा से क्या परिणाम निकलते हैं और क्या यह दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने में मदद कर सकती है।