कौरवों के जन्म की रहस्यमय कथा: गांधारी के 100 पुत्र कैसे हुए?

महाभारत की कौरवों के जन्म की कहानी में कई रहस्य छिपे हैं। माता गांधारी के 100 पुत्रों का जन्म कैसे हुआ, यह जानने के लिए इस लेख को पढ़ें। ऋषि व्यास के वरदान से लेकर गर्भावस्था के अनोखे अनुभव तक, यह कथा आपको रोमांचित करेगी। जानें दुर्योधन और अन्य कौरवों के जन्म का रहस्य और उनके पीछे की पौराणिक कथाएँ।
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कौरवों के जन्म की रहस्यमय कथा: गांधारी के 100 पुत्र कैसे हुए?

कौरवों का जन्म रहस्य

कौरवों के जन्म की रहस्यमय कथा: गांधारी के 100 पुत्र कैसे हुए?

कौरवों की जन्म कथा

महाभारत में कौरवों का जन्म: द्वापर युग में पांडवों और कौरवों के बीच एक महायुद्ध हुआ, जिसमें पांडवों ने विजय प्राप्त की। महाभारत की इस कथा में कई रोमांचक और रहस्यमय कहानियाँ समाहित हैं। कौरवों के जन्म की कहानी भी इन्हीं में से एक है। आइए जानते हैं कि माता गांधारी के 100 पुत्र कैसे हुए?

कथा के अनुसार, ऋषि व्यास ने गांधारी की सेवा से प्रसन्न होकर उन्हें 100 पुत्रों का वरदान दिया। बाद में, गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से हुआ और उन्होंने गर्भ धारण किया, लेकिन यह गर्भावस्था आम महिलाओं की तरह नहीं थी, बल्कि वह 24 महीने तक गर्भवती रहीं।

कौरवों का जन्म कैसे हुआ

जब उनका प्रसव हुआ, तो गर्भ से बच्चे नहीं, बल्कि मांस के टुकड़े निकले। इस पर ऋषि व्यास को सूचित किया गया। ऋषि व्यास हस्तिनापुर आए और उन्होंने मांस के टुकड़ों को 101 हिस्सों में बांटकर मिट्टी के मटकों में घी में डाल दिया। इन मटकों में मांस के टुकड़ों से 100 पुत्र और एक पुत्री का जन्म हुआ, जिन्हें कौरव कहा गया।

गांधारी के 100 पुत्रों का रहस्य

इनमें सबसे बड़े पुत्र का नाम दुर्योधन था, जो महाभारत में एक महत्वपूर्ण पात्र बने। एक कथा के अनुसार, गांधारी ने अपने पिछले जन्म में जीव हत्या की थी, जिसके कारण उनकी संतानें देर से हुईं। एक अन्य कथा में कहा गया है कि उन्होंने 100 कछुओं की हत्या की थी, जिससे उन्हें इस जन्म में 100 पुत्रों का जन्म हुआ, लेकिन उनका अंत देखना उनके लिए नसीब नहीं था।