कोलकाता हाईकोर्ट में भूमि विवाद पर अद्भुत घटनाक्रम

कोलकाता हाईकोर्ट में भूमि विवाद की सुनवाई के दौरान एक अनोखी घटना घटी जब सहायक रजिस्ट्रार अचानक बेहोश हो गए। जस्टिस जॉय सेनगुप्ता ने विवादित भूमि पर शिवलिंग को हटाने का आदेश दिया, लेकिन इस घटना ने जज को अपना फैसला बदलने पर मजबूर कर दिया। जानें इस अद्भुत घटनाक्रम के पीछे की पूरी कहानी और भूमि विवाद के जटिल पहलुओं के बारे में।
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कोलकाता हाईकोर्ट में भूमि विवाद पर अद्भुत घटनाक्रम

कोलकाता हाईकोर्ट में भूमि विवाद की सुनवाई

कोलकाता में कलकत्ता हाईकोर्ट में एक भूमि विवाद से संबंधित मामले की सुनवाई चल रही थी, जिसमें दोनों पक्षों के वकील अपने मुवक्किलों की ओर से दलीलें पेश कर रहे थे। जस्टिस जॉय सेनगुप्ता ने दोनों वकीलों की बहस सुनने के बाद विवादित भूमि पर स्थित शिवलिंग को हटाने का आदेश दिया। लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसने सभी को चौंका दिया।


अदालत में अचानक बेहोश हुए सहायक रजिस्ट्रार

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जब जस्टिस सेनगुप्ता का फैसला दर्ज किया जा रहा था, तब अदालत के सहायक रजिस्ट्रार अचानक बेहोश हो गए। उनकी इस स्थिति को देखकर जज भी हैरान रह गए और उन्होंने अपने निर्णय से पीछे हटने का फैसला किया। जस्टिस सेनगुप्ता ने कहा कि हाईकोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा और याचिकाकर्ताओं को निचली अदालत में जाने की सलाह दी।


भूमि विवाद का विवरण

जानकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के खिदिरपुर में गोविंद मंडल और सुदीप पाल के बीच एक भूमि के टुकड़े को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। यह मामला पिछले साल मई में तब बढ़ गया जब दोनों पक्षों के बीच हिंसा हुई। आरोप है कि इस झड़प के बाद गोविंद मंडल ने रातोंरात उस भूमि पर एक शिवलिंग स्थापित कर दिया।


पुलिस की कार्रवाई पर सवाल

सुदीप पाल ने इस मामले की शिकायत नजदीकी थाने में दर्ज कराई, लेकिन चूंकि यह एक दीवानी मामला था, पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इसके बाद सुदीप पाल ने कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।


कोर्ट में हंगामा

सुनवाई के दौरान सुदीप पाल के वकील ने दलील दी कि गोविंद मंडल ने अवैध रूप से विवादित भूमि पर शिवलिंग स्थापित किया था, और पुलिस की निष्क्रियता के कारण अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता थी। वहीं, गोविंद मंडल के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल ने कोई शिवलिंग नहीं रखा, बल्कि वह स्वयं भूमि से उभरा था।


जज का अंतिम निर्णय

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस सेनगुप्ता ने विवादित भूमि पर शिवलिंग को हटाने का आदेश दिया। लेकिन जैसे ही सहायक रजिस्ट्रार ने इस फैसले को दर्ज किया, वह बेहोश हो गए, जिससे कोर्ट रूम में हंगामा मच गया। इसके बाद जस्टिस सेनगुप्ता ने अपना फैसला बदलते हुए कहा कि हाईकोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा और इसे निचली अदालत में आगे बढ़ाने का निर्देश दिया।