कोटा में महाराणा प्रताप की भव्य घुड़सवार प्रतिमा का अनावरण
महाराणा प्रताप की विरासत का सम्मान
कोटा के रामगंज मंडी में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें महाराणा प्रताप की विशाल घुड़सवार प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर जैसे प्रमुख व्यक्तित्व उपस्थित थे। बिरला ने महाराणा प्रताप की महानता की सराहना की, हल्दीघाटी के युद्ध में उनकी निष्ठा का उल्लेख किया और बताया कि उनका नेतृत्व भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और आत्म-सम्मान को प्रेरित करता है। इस समारोह ने भारतीय सांस्कृतिक धरोहर पर महाराणा प्रताप के अमिट प्रभाव को उजागर किया, और उनके वंशजों तथा अधिकारियों ने उनकी वीरता और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को सिखाने के महत्व पर जोर दिया।
समारोह में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर और महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति इस समारोह में शामिल हुए। बिरला ने अपने संबोधन में कहा कि स्वाभिमान किसी भी शक्ति से अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की अदम्य भावना ने मुगल सल्तनत के अहंकार को ध्वस्त कर दिया था।
महाराणा प्रताप का जीवन और नेतृत्व
बिरला ने आगे कहा कि महाराणा प्रताप केवल मेवाड़ के ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के गौरव हैं। उनका जीवन एक प्रेरणादायक उदाहरण है, जो हमें आंतरिक शक्ति प्रदान करता है। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि महाराणा प्रताप का नाम सुनते ही हर भारतीय के दिल में गर्व और श्रद्धा की भावना जागृत होती है। उन्होंने कहा कि हाड़ौती में उनकी प्रतिमा राष्ट्र की कृतज्ञता का प्रतीक है, जिसने मातृभूमि के सम्मान के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
सच्चे नेतृत्व का उदाहरण
बिरला ने कहा कि महाराणा प्रताप का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा नेतृत्व केवल शक्ति से नहीं, बल्कि नीति, न्याय और करुणा से किया जाता है। उन्होंने कहा, “जब महाराणा प्रताप ने युद्ध के बाद भी अपनी प्रजा की रक्षा को प्राथमिकता दी, तो उन्होंने यह उदाहरण प्रस्तुत किया कि एक राजा का कर्तव्य केवल शासन करना नहीं, बल्कि लोक कल्याण की रक्षा करना भी होता है।”
जाति और वर्ग का भेदभाव रहित शासन
कोटा से सांसद बिरला ने कहा कि महाराणा प्रताप के शासन में जाति, वर्ग या पंथ का कोई भेदभाव नहीं था। उन्होंने बताया कि उनके शासन में सभी के लिए समान न्याय और सम्मान का वातावरण था, जो आज के लोकतांत्रिक भारत की आत्मा से गहराई से जुड़ा हुआ है। बिरला ने कहा कि महाराणा प्रताप ने विपरीत परिस्थितियों में भी स्वशासन और स्वाभिमान का जो अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया, वह आज भी हमारे राष्ट्र का मार्गदर्शन करता है।
