कोचिंग उद्योग का विकास: 25 वर्षों में कैसे बदला शिक्षा का परिदृश्य

भारत में कोचिंग उद्योग ने पिछले 25 वर्षों में एक छोटे कमरे से हजारों करोड़ रुपए की इंडस्ट्री में परिवर्तन किया है। इस लेख में, हम देखेंगे कि कैसे कोचिंग का प्रारंभ हुआ, कैसे यह एक व्यवसाय में बदला, और कैसे ऑनलाइन शिक्षा ने इसे और भी विस्तारित किया। अलख पांडे और खान सर जैसे सितारों की सफलता की कहानी भी इस यात्रा का हिस्सा है। जानें कि 2025 तक कोचिंग संस्थानों की संख्या और कारोबार में कितना इजाफा हुआ है।
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कोचिंग उद्योग का विकास: 25 वर्षों में कैसे बदला शिक्षा का परिदृश्य

कोचिंग उद्योग का उदय

कोचिंग उद्योग का विकास: 25 वर्षों में कैसे बदला शिक्षा का परिदृश्य

कोचिंग संस्थान अब बड़े कारोबार बन गए हैं.

पिछले 25 वर्षों में भारत का ट्यूशन उद्योग एक छोटे से कमरे से निकलकर हजारों करोड़ रुपए की इंडस्ट्री में बदल चुका है। पहले जहां गांव में मास्टरजी के घर पर चार बच्चों की क्लास होती थी, वहीं अब यह कॉर्पोरेट कोचिंग, ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफार्म और शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों तक पहुंच चुका है। इस दौरान कोचिंग का पूरा ढांचा भी बदल गया है। फिजिक्स वाला के संस्थापक अलख पांडे से लेकर पटना के खान सर तक, ये सभी कोचिंग इंडस्ट्री के सितारे बन चुके हैं। आइए जानते हैं कि 2000 से 2025 तक एक कमरे में चलने वाली कोचिंग कैसे एक विशाल उद्योग में तब्दील हुई और इसकी पहुंच शेयर बाजार तक कैसे हुई।

1995 के आसपास, गांवों या मोहल्लों में कोचिंग एक या दो कमरों में चलती थी। उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि यह एक दिन हजारों करोड़ रुपए की इंडस्ट्री बन जाएगी। 1990 के दशक में ट्यूशन का मतलब था कि स्कूल के शिक्षक या युवा ग्रेजुएट अपने से छोटे क्लास के 5 से 10 बच्चों को पढ़ाते थे। इसका मुख्य उद्देश्य कमजोर छात्रों की मदद करना था। बाद में फीस लेने की शुरुआत हुई, लेकिन उस समय इसे व्यवसाय नहीं माना जाता था.


2000-2010: कोचिंग कल्चर का आरंभ

2000-2010: ऐसे शुरू हुआ कोचिंग कल्चर

भारत में कोचिंग कल्चर की शुरुआत लगभग 2000 से 2010 के बीच हुई। इस दौरान IIT-JEE, मेडिकल, बैंकिंग और सरकारी नौकरियों की तैयारी के लिए कोचिंग संस्थान तेजी से खुलने लगे। कोटा, दिल्ली और कानपुर कोचिंग के प्रमुख केंद्र बन गए। आईआईटी की तैयारी करने वाले छात्र कोटा या कानपुर जाने लगे, जबकि यूपीएससी की तैयारी करने वाले उम्मीदवार दिल्ली का रुख करने लगे। इससे पहले, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए प्रयागराज कोचिंग हब के रूप में जाना जाता था.

कोचिंग उद्योग का विकास: 25 वर्षों में कैसे बदला शिक्षा का परिदृश्य


2011: ऑनलाइन लर्निंग का आगाज

2011: ऑनलाइन लर्निंग ऐप और वीडियो लेक्चर की शुरुआत

2011 में बायजूस (BYJU’s) नामक पहली भारतीय एड-टेक कंपनी की स्थापना हुई, जिसे बायजू रवींद्रन और दिव्या गोकुलनाथ ने स्थापित किया। यह ऑनलाइन लर्निंग ऐप और वीडियो लेक्चर पर आधारित थी। वर्तमान में, कंपनी भारी नुकसान और निवेशकों के घटते भरोसे के कारण बंद होने की कगार पर है.


2014-2020: कोचिंग संस्थानों का विस्तार

2014-2020: कोचिंग संस्थान ऐसे बने बड़ी इंडस्ट्री

कोटा, कानपुर और दिल्ली में लाखों छात्रों का माइग्रेशन शुरू हुआ, जिससे कोचिंग संस्थान व्यवसाय में बदलने लगे। 2014 से इंटरनेट सस्ता हुआ, और स्मार्टफोन तथा सस्ते इंटरनेट ने ट्यूशन इंडस्ट्री को नया मोड़ दिया। यहीं से बड़े कोचिंग संस्थानों में ऑनलाइन क्लासेज, रिकॉर्डेड लेक्चर और टेस्ट सीरीज की शुरुआत हुई.


2020-2025: गांवों तक पहुंची कोचिंग

2020-2025: शहरों से गांव में पहुंच गई कोचिंग इंडस्ट्री

ऑनलाइन क्लासेज और रिकॉर्डेड लेक्चर के आरंभ होने के बाद, इन कोचिंग संस्थानों की पहुंच गांवों तक हो गई। कोरोना महामारी ने इसे कई गुना रफ्तार दी और ऑनलाइन पढ़ाई शिक्षा के मुख्यधारा में आ गई। 2020 से 2025 तक, कोचिंग संस्थान कॉर्पोरेट क्षेत्र में बदल गए और एक बड़ी इंडस्ट्री का रूप ले लिया.

कोचिंग उद्योग का विकास: 25 वर्षों में कैसे बदला शिक्षा का परिदृश्य


2025: कोचिंग के सितारे

2025: अलख पांडे और खान सर बने स्ट्रार

सफलता की दर के कारण अलख पांडे और खान सर इस समय देश में कोचिंग इंडस्ट्री के सितारे बन गए हैं। फिजिक्स वाला ने इस साल नवंबर में अपना IPO लॉन्च किया था, जिसमें 3480 करोड़ जुटाए गए.


कोचिंग संस्थानों की संख्या और कारोबार

2025 तक देश में कितने हुए कोचिंग संस्थान, कितना बढ़ा कारोबार?

अक्टूबर 2025 तक, देश में कोचिंग संस्थानों की कुल संख्या लगभग 1 लाख से अधिक है। 2000 से 2005 के बीच, देश में कोचिंग संस्थानों की संख्या तेजी से बढ़ी। रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्तमान में ऑफलाइन और ऑनलाइन कोचिंग संस्थानों का सालाना कारोबार लगभग 30,000-58,000 करोड़ रुपए है.

2000 से 2025 के बीच कितनी बढ़ी कोचिंग संस्थानों की फीस? 2000 में जेईई और नीट कोचिंग की सालाना फीस लगभग 30,000 रुपए या इससे कम थी। वर्तमान में, टॉप जेईई और नीट कोचिंग की फीस लगभग 1.5-3 लाख सालाना है, जबकि यूपीएससी कोचिंग की फीस लगभग 1 से 2 लाख रुपए है. फीस कोर्स के अनुसार तय होती है.