कोकाटे ने उच्च न्यायालय में सजा पर रोक लगाने की याचिका दायर की

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मंत्री माणिकराव कोकाटे ने बॉम्बे उच्च न्यायालय में धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपों में दोषी ठहराए जाने के बाद अपनी सजा पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की है। उन्होंने निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में अपने कार्यकाल को जारी रखने की मांग की है। इस मामले की सुनवाई 19 दिसंबर को होने की संभावना है। जानें इस मामले के पीछे की कहानी और कानूनी पहलू।
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कोकाटे ने उच्च न्यायालय में सजा पर रोक लगाने की याचिका दायर की

कोकाटे की याचिका पर सुनवाई

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मंत्री माणिकराव कोकाटे ने बुधवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की। इस याचिका में उन्होंने धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपों में दोषी ठहराए जाने के बाद दो साल की जेल की सजा पर रोक लगाने की मांग की। 67 वर्षीय कोकाटे ने निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में अपने कार्यकाल को जारी रखने के लिए अपनी दोषसिद्धि और सजा पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, यदि कोई निर्वाचित प्रतिनिधि दो साल या उससे अधिक की कैद की सजा पाता है, तो उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है।


कोकाटे के वकील अनिकेत निकम ने न्यायमूर्ति आरएन लड्ढा के समक्ष तत्काल सुनवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि इस मामले में उनकी दोषसिद्धि और सजा के कारण मंत्री पद से अयोग्यता का खतरा है।


सुनवाई की तारीख और विरोध

निकम ने आगामी शीतकालीन अवकाश को ध्यान में रखते हुए मामले की सुनवाई 19 दिसंबर को करने का अनुरोध किया। इस पर नासिक के सामाजिक कार्यकर्ता शरद शिंदे पाटिल के वकील अनुकूल सेठ ने विरोध किया और कोकाटे से जमानत बांड सरेंडर करने की मांग की। सेठ ने कहा कि कोकाटे ने नियमित प्रक्रिया का पालन करने के बजाय लीलावती अस्पताल में भर्ती होकर खुद को भर्ती कराया है।


निकम ने अदालत में जोर देकर कहा कि बहस में केवल दस मिनट का समय लगेगा, क्योंकि यह केवल दोषसिद्धि और सजा पर अस्थायी रोक लगाने की मांग के लिए होगी।


मामले का विवरण

यह मामला 1989 से 1992 के बीच का है। राज्य सरकार ने जरूरतमंदों के लिए आवास योजना शुरू की थी, जिसमें जरूरतमंद की परिभाषा यह थी कि जिनकी वार्षिक आय 30 हजार रुपये से अधिक न हो। कोकाटे और उनके भाई विजय ने फ्लैट प्राप्त करने के लिए आय के संबंध में झूठा हलफनामा दायर किया। उन्होंने अपनी आमदनी 30 हजार रुपये से कम बताई। दोनों को 1994 में नासिक में फ्लैट आवंटित किए गए।


इस मामले में सत्र न्यायालय ने कोकाटे की सजा को बरकरार रखा। उन्हें IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 465 (जाली दस्तावेज बनाना), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल) के तहत सजा सुनाई गई। अभियोजन पक्ष ने नासिक कोर्ट में फर्जीवाड़े से जुड़े कई दस्तावेज पेश किए, जिन पर गौर करने के बाद निचली अदालत ने कोकाटे को राहत देने से इंकार कर दिया।