कॉलेजों में प्रोफेसरों की नई जिम्मेदारी: आवारा जानवरों की निगरानी
कॉलेजों में प्रोफेसरों की नई जिम्मेदारी
कॉलेज और विश्वविद्यालयों के शिक्षकों की जिम्मेदारियों में अब एक नया पहलू जुड़ गया है। कक्षाओं में पढ़ाने के अलावा, उन्हें अब कैंपस में घूमने वाले आवारा कुत्तों और मवेशियों की निगरानी भी करनी होगी। उच्च शिक्षा विभाग ने इस संबंध में सख्त निर्देश जारी किए हैं, जिसमें प्राचार्यों और शिक्षकों को जिम्मेदार ठहराया गया है।
नोडल अधिकारी की नियुक्ति अनिवार्य
नए आदेश के अनुसार, हर कॉलेज और विश्वविद्यालय में एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करना अनिवार्य है। यदि कैंपस में आवारा जानवरों की उपस्थिति होती है या उनसे संबंधित कोई घटना घटित होती है, तो इसके लिए प्राचार्य और नोडल अधिकारी को सीधे तौर पर जिम्मेदार माना जाएगा।
नगर निगम द्वारा निर्धारित फॉर्मेट
आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए नगर निगम और नगरपालिका अपने-अपने क्षेत्र के कॉलेजों के प्राचार्यों को एक निर्धारित फॉर्मेट भेज रहे हैं। इस फॉर्मेट में कॉलेज प्रशासन को यह बताना होगा कि आवारा कुत्तों की निगरानी के लिए किसे नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है और अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।
प्राचार्य और नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी
नई गाइडलाइन के अनुसार, यदि कॉलेज या विश्वविद्यालय के कैंपस में आवारा कुत्ते या मवेशी पाए जाते हैं, या उनसे संबंधित कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसके लिए प्राचार्य और नोडल अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इन्हें नगर निगम के साथ समन्वय बनाकर जानवरों को हटवाने और सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है।
राज्य स्तर पर प्रभारी नियुक्त
इस व्यवस्था की गंभीरता को देखते हुए, राज्य स्तर पर डॉ. टी. जलजा नायर को इस पूरे प्रबंधन का प्रभारी बनाया गया है। सभी कॉलेजों के नोडल अधिकारियों को अपने नाम और मोबाइल नंबर वाला डिस्प्ले बोर्ड कैंपस में लगाना होगा, जिसका फोटो प्रमाण उच्च शिक्षा संचालनालय को व्हाट्सएप करना अनिवार्य होगा।
खुले में खाने की सामग्री फेंकने पर रोक
कैंटीन या कॉलेज परिसर में खुले में फेंकी गई खाद्य सामग्री अक्सर आवारा जानवरों को आकर्षित करती है। नई गाइडलाइन में इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ ही कैंपस की बाउंड्री वॉल को दुरुस्त रखने के निर्देश भी दिए गए हैं।
