केरल में मानसून के कारण हाई अलर्ट, नदियों का जलस्तर बढ़ा

केरल में जारी मानसून की बारिश के कारण राज्य में हाई अलर्ट घोषित किया गया है। नदियों का जलस्तर बढ़ने से कई निचले इलाकों में बाढ़ आ गई है, जिससे सैकड़ों लोग विस्थापित हुए हैं। भारतीय मौसम विभाग ने वायनाड और इडुक्की जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। बांधों के फाटक खोले जाने की तैयारी की जा रही है, और जिला प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की व्यवस्था की है। जानें इस स्थिति के बारे में अधिक जानकारी।
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केरल में मानसून के कारण हाई अलर्ट, नदियों का जलस्तर बढ़ा

केरल में बारिश का प्रभाव

केरल में लगातार हो रही बारिश के चलते राज्य में हाई अलर्ट जारी किया गया है। नदियों के जलस्तर में वृद्धि हो रही है और बांधों के शटर खोले जा रहे हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अपने पूर्वानुमान में संशोधन करते हुए वायनाड और इडुक्की जिलों के लिए आज ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।


ऑरेंज अलर्ट की जानकारी

आईएमडी ने पथानामथिट्टा, कोट्टायम, इडुक्की, मलप्पुरम और वायनाड जिलों के लिए शनिवार को ‘ऑरेंज’ अलर्ट जारी किया है। इसका अर्थ है कि 11 से 20 सेंटीमीटर तक की भारी बारिश हो सकती है। हाल की बारिश के कारण कई नदियों का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ आई है और सैकड़ों लोग विस्थापित हुए हैं। वायनाड जिले के बाणासुर सागर और पथानामथिट्टा जिले के मूझियार बांधों के फाटक भी खोले गए हैं।


बांधों के फाटक खोलने की तैयारी

एक आधिकारिक बयान में बताया गया है कि त्रिशूर जिले में पीची बांध के फाटक शनिवार दोपहर को खोले जाने की संभावना है। जलग्रहण क्षेत्रों में बारिश के कारण जल स्तर बढ़ने के बाद पलक्कड़ में कंजिरापुझा, मालमपुझा और मीनकारा जैसे बांधों के फाटक खोले गए हैं।


मुल्लापेरियार बांध की स्थिति

तमिलनाडु के अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि मुल्लापेरियार बांध का जल स्तर 136 फुट तक पहुंचने पर वे बांध के फाटक खोलने की योजना बना सकते हैं। इसके चलते इडुक्की जिले के अधिकारी भी तैयारियों में जुट गए हैं। जिला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर निचले इलाकों में रहने वाले 883 परिवारों के 3,220 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की व्यवस्था की है।


जल स्तर की जानकारी

शनिवार सुबह 10 बजे मुल्लापेरियार बांध का जल स्तर 135.70 फुट तक पहुंच गया। यह बांध केरल में स्थित है, लेकिन इसका संचालन और रखरखाव तमिलनाडु द्वारा किया जाता है, क्योंकि पड़ोसी राज्य ने 1886 में इसे 999 वर्ष के पट्टे पर लिया था।