केरल में भारत माता की तस्वीर पर विवाद: सरकार ने कार्यक्रम का किया बहिष्कार

केरल में भारत माता की तस्वीर को लेकर विवाद ने तूल पकड़ लिया है, जिसके चलते राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का बहिष्कार किया। सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के नेताओं के बीच तीखी बहस चल रही है, जिसमें तस्वीर को सांप्रदायिकता का प्रतीक बताया जा रहा है। राज्यपाल ने इस मुद्दे पर कोई समझौता न करने की बात कही है। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और इसके पीछे की राजनीति।
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केरल में भारत माता की तस्वीर पर विवाद: सरकार ने कार्यक्रम का किया बहिष्कार

भारत माता की तस्वीर का विवाद

भारत माता की छवि हर भारतीय के दिल में गहराई से बसी हुई है, लेकिन केरल में इस तस्वीर के कारण एक कार्यक्रम का बहिष्कार किया गया। राज्य में विपक्ष के नेता यह दावा कर रहे हैं कि राजभवन में भारत माता की तस्वीर का होना उचित नहीं है। सत्तारूढ़ पार्टी के नेता इसे सांप्रदायिकता का प्रतीक मानते हैं और कहते हैं कि इसका कोई आधिकारिक महत्व नहीं है। यह सुनकर विश्वास करना कठिन है कि ये बातें भारतीय नेताओं द्वारा कही जा रही हैं। जो नेता इसे आरएसएस की विचारधारा से जोड़ते हैं, उनकी सोच पर आश्चर्य होता है, क्योंकि मातृभूमि की तस्वीर हर भारतीय की है। इसलिए, इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि भारत माता की तस्वीर का अपमान हर भारतीय की भावनाओं को ठेस पहुँचाता है.


राजभवन में कार्यक्रम का बहिष्कार

गुरुवार को विश्व पर्यावरण दिवस पर केरल के राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में आरएसएस की शाखाओं में आमतौर पर लगाई जाने वाली 'भारत माता' की तस्वीर के कारण राज्य सरकार ने कार्यक्रम का बहिष्कार किया। इस विवाद पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने स्पष्ट किया कि भारत माता के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। कृषि मंत्री पी प्रसाद ने कहा कि राज्य सरकार भारत माता का सम्मान करती है, लेकिन राजभवन में आधिकारिक समारोह के लिए आरएसएस से जुड़ी तस्वीर का उपयोग करना असंवैधानिक है। इसके बावजूद, राजभवन में कार्यक्रम आयोजित किया गया, जबकि राज्य सरकार ने सचिवालय में अलग से कार्यक्रम रखा.


राज्यपाल का बयान

राजभवन द्वारा जारी एक बयान में राज्यपाल ने कहा, 'चाहे किसी भी ओर से कितना भी दबाव क्यों न हो, भारत माता पर किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा।' बयान में यह भी कहा गया कि कृषि मंत्री ने पहले अनुरोध किया था कि कार्यक्रम राजभवन में आयोजित किया जाए, जिसे राज्यपाल ने अनुमति दी थी। लेकिन जब मंत्री ने मंच पर भारत माता का चित्र हटाने का आग्रह किया, तो राज्यपाल ने इसे ठुकरा दिया। इसके बाद मंत्री ने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया.


कृषि मंत्री की प्रतिक्रिया

कृषि मंत्री प्रसाद ने कहा कि कार्यक्रम का एजेंडा राजभवन द्वारा तैयार किया गया था, जिसे उन्होंने स्वीकार किया था। लेकिन अचानक एक नई चीज जोड़ दी गई - भारत माता की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित करना। यह संवैधानिक मानदंडों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि राजभवन, जो एक संवैधानिक कार्यालय है, को ऐसी तस्वीर का उपयोग नहीं करना चाहिए जो केवल एक विशेष संगठन द्वारा उपयोग की जाती है। इसलिए, कार्यक्रम का स्थान बदलकर सचिवालय में आयोजित किया गया.


विपक्ष की आलोचना

इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि राजभवन की ओर से बदलाव अंतिम समय में किया गया, जिसके कारण कृषि विभाग को समारोह को दूसरी जगह पर आयोजित करना पड़ा। कृषि विभाग का पर्यावरण दिवस समारोह सचिवालय परिसर में आयोजित किया गया। इस पूरे घटनाक्रम पर आरएसएस से जुड़े संगठन भारतीय विचार केंद्रम ने राज्यपाल के रुख का समर्थन किया, जबकि सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और विपक्षी कांग्रेस ने इस मामले में राजभवन की आलोचना की.


विपक्ष के नेताओं की राय

केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने कहा कि राजभवन में भारत माता की तस्वीर रखना उचित नहीं है। माकपा के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान इस तस्वीर के इस्तेमाल की आलोचना करते हुए कहा कि इसे सांप्रदायिकता का प्रतीक माना जाता है और इसका कोई आधिकारिक दर्जा नहीं है.