केरल ने अत्यंत गरीबी से मुक्ति की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की

केरल ने अपने स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन द्वारा राज्य को 'अत्यंत गरीबी-मुक्त' घोषित करने के साथ एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। यह भारत का पहला राज्य है जो इस मुकाम पर पहुंचा है। हालांकि, विपक्ष ने इस दावे को धोखाधड़ी करार दिया है। जानें इस महत्वपूर्ण घटना के बारे में और केरल के समावेशी शासन मॉडल की सफलता के पीछे के कारण।
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केरल ने अत्यंत गरीबी से मुक्ति की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की

केरल ने गरीबी-मुक्त राज्य का दर्जा प्राप्त किया

केरल ने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार किया है, जब मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शनिवार (1 नवंबर) को राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर इसे "अत्यंत गरीबी-मुक्त" घोषित किया। इस घोषणा के साथ, केरल भारत का पहला राज्य बन गया है, और चीन के बाद दुनिया का दूसरा राज्य है, जिसने यह उपलब्धि हासिल की है। यह भव्य समारोह तिरुवनंतपुरम के सेंट्रल स्टेडियम में आयोजित किया गया, जिसमें राज्य के सभी मंत्रियों, स्थानीय प्रतिनिधियों और फिल्म उद्योग की हस्तियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में केरल की समृद्ध कला और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी शामिल किए गए।


विपक्ष ने उठाए सवाल

मुख्यमंत्री विजयन ने स्थापना दिवस के विशेष सत्र में यह घोषणा की। हालांकि, कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने इस दावे को ‘‘पूरी तरह से धोखाधड़ी’’ करार दिया और सत्र का बहिष्कार किया। विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने कहा कि मुख्यमंत्री का बयान नियम 300 के तहत ‘‘धोखाधड़ी’’ और सदन के नियमों की ‘‘अवमानना’’ है। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम इसमें शामिल नहीं हो सकते और सत्र का पूरी तरह से बहिष्कार कर रहे हैं।’’


मुख्यमंत्री का जवाब

मुख्यमंत्री ने विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि जब यूडीएफ ‘‘धोखाधड़ी’’ शब्द का उपयोग करता है, तो वह अपने ही कार्यों की ओर इशारा कर रहा होता है। उन्होंने कहा, ‘‘हम वही कहते हैं जो हम कर सकते हैं। हमने जो कहा था, उसे पूरा किया है। विपक्ष के नेता को यही हमारा उत्तर है।’’


केरल का समावेशी शासन मॉडल

विशेषज्ञों का मानना है कि केरल की सफलता का श्रेय इसके मजबूत विकेन्द्रीकृत शासन और सामुदायिक भागीदारी को जाता है। स्थानीय निकायों को सशक्त बनाकर और कुदुम्बश्री जैसे कार्यक्रमों को एकीकृत करके, राज्य ने यह सुनिश्चित किया है कि हर हस्तक्षेप अपने लक्षित लाभार्थियों तक पहुंचे। सरकारी विभागों, महिलाओं के नेतृत्व वाले समूहों और स्थानीय प्रतिनिधियों के बीच सहयोग ने इस पहल को अत्यंत जन-केंद्रित और टिकाऊ बना दिया है।