केरल के मुख्यमंत्री ने माकपा और आरएसएस के बीच सहयोग से किया इनकार

मुख्यमंत्री का बयान
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बुधवार को स्पष्ट किया कि आपातकाल के दौरान मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बीच किसी भी प्रकार का राजनीतिक सहयोग नहीं हुआ। उन्होंने दक्षिणपंथी संगठन को एक ‘‘सांप्रदायिक ताकत’’ के रूप में वर्णित किया।
मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि दक्षिणपंथी संगठन ने मार्क्सवादी कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया। मीडिया से बातचीत करते हुए, विजयन ने कांग्रेस नेतृत्व पर भी तीखा हमला किया, और अप्रत्यक्ष रूप से केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के पूर्व अध्यक्ष के सुधाकरन और विपक्ष के नेता वी डी सतीशन को निशाना बनाया।
उन्होंने विपक्षी दल पर ‘‘राजनीतिक लाभ’’ के लिए अपने धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों से समझौता करने का आरोप लगाया। नीलांबुर उपचुनाव के लिए मतदान बृहस्पतिवार को होगा, और इस बीच इस निर्वाचन क्षेत्र में 1970 के दशक में माकपा और जनसंघ (भाजपा का पूर्व संगठन) के बीच कथित समझौते को लेकर नई बहस शुरू हो गई है।
कांग्रेस-यूडीएफ उम्मीदवार आर्यदान शौकत ने कहा कि ऐसे और गठबंधनों की संभावना है, जबकि माकपा-एलडीएफ उम्मीदवार एम स्वराज ने कहा कि उस समय वामपंथियों ने जनसंघ के साथ नहीं, बल्कि जनता पार्टी के साथ सहयोग किया था।
उन्होंने यह भी कहा कि उस समय विभिन्न विचारधाराओं के लोग जनता पार्टी का हिस्सा बन गए थे। पत्रकारों से बात करते हुए शौकत ने दावा किया कि कम्युनिस्ट पार्टी ने अतीत में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया था कि उसने 1967 में कम से कम तीन या चार राज्यों में आरएसएस से जुड़े जनसंघ के साथ गठबंधन किया था, जिसका उद्देश्य तत्कालीन कांग्रेस सरकार को सत्ता से हटाना था।