केरल उच्च न्यायालय ने अरुंधति रॉय की पुस्तक के कवर पर उठाए सवाल

केरल उच्च न्यायालय ने लेखिका अरुंधति रॉय की नई पुस्तक 'मदर मैरी कम्स टू मी' के कवर पर छपी सिगरेट पीते हुए तस्वीर को लेकर केंद्र सरकार को जवाब देने का आदेश दिया है। याचिका में कहा गया है कि इस तस्वीर से युवाओं को धूम्रपान को लेकर भ्रामक संदेश मिलता है। याचिकाकर्ता ने तर्क किया कि यह छवि धूम्रपान को बढ़ावा देती है और इसके बिना वैधानिक स्वास्थ्य चेतावनी का होना आवश्यक है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को तय की है।
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केरल उच्च न्यायालय ने अरुंधति रॉय की पुस्तक के कवर पर उठाए सवाल

केरल उच्च न्यायालय का निर्देश

केरल उच्च न्यायालय ने लेखिका अरुंधति रॉय की नई पुस्तक के कवर पृष्ठ को लेकर दायर एक याचिका पर केंद्र सरकार को जवाब देने का आदेश दिया है। जनहित याचिका में रॉय की हाल ही में प्रकाशित किताब "मदर मैरी कम्स टू मी" के कवर पर छपी तस्वीर पर आपत्ति जताई गई है, जिसमें उन्हें सिगरेट पीते हुए दर्शाया गया है, लेकिन उस पर आवश्यक वैधानिक स्वास्थ्य चेतावनी नहीं है। कोच्चि के वकील राजसिम्हन द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया है कि यह छवि धूम्रपान को बढ़ावा देकर समाज, विशेषकर युवतियों और महिलाओं के लिए हानिकारक संदेश देती है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि एक प्रसिद्ध लेखक को इस तरह दिखाना यह गलत धारणा पैदा करता है कि धूम्रपान बौद्धिक रचनात्मकता को बढ़ाता है। 


याचिका में उठाए गए मुद्दे

याचिका में यह भी कहा गया है कि पुस्तक के कवर पर लेखक की सिगरेट पीते हुए तस्वीर युवाओं को भ्रामक और अस्वास्थ्यकर संदेश देती है, जिससे यह धारणा बनती है कि धूम्रपान फैशनेबल और बौद्धिक रूप से उत्तेजक है। यह मामला गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायमूर्ति बसंत बालाजी की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया। पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह अदालत को बताए कि क्या ऐसे मामलों से निपटने के लिए कोई एजेंसी या तंत्र मौजूद है। मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को निर्धारित की गई है। याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क किया कि कवर छवि सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन पर रोक लगाने वाले अधिनियम, 2003 का उल्लंघन करती है, जो बिना वैधानिक स्वास्थ्य चेतावनियों के तंबाकू उत्पादों के विज्ञापनों पर रोक लगाता है। याचिका में कहा गया है कि चेतावनी के बिना छवि का प्रदर्शन धूम्रपान और तंबाकू उत्पादों का अप्रत्यक्ष प्रचार है। 


याचिका में मांगी गई कार्रवाई

इस पुस्तक के वर्तमान कवर के साथ बिक्री, वितरण और प्रदर्शन पर रोक लगाने के अलावा, याचिका में बाजार से इसकी सभी मौजूदा प्रतियों को वापस लेने की भी मांग की गई है। इसके साथ ही, यह भी मांग की गई है कि वैधानिक चेतावनी के बिना पुस्तक का प्रकाशन "अवैध और सीओटीपीए का उल्लंघन" है।