केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 8वें वेतन आयोग की संभावित सैलरी वृद्धि

8वें वेतन आयोग की संभावनाएं
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए 8वें वेतन आयोग से जुड़ी एक सकारात्मक खबर सामने आई है। आयोग के लागू होने पर उनकी सैलरी और पेंशन में 30 से 40 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। यह वृद्धि वित्त वर्ष 2026-27 से प्रभावी होने की संभावना है। इसके लिए सरकार को 1.8 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ सकता है। इससे पहले 7वें वेतन आयोग को लागू करने में सरकार को 1.02 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आया था। यह जानकारी एम्बिट कैपिटल की एक रिपोर्ट में दी गई है।
रिपोर्ट तैयार करने में लगेगा समय
एम्बिट कैपिटल के अनुसार, 8वें वेतन आयोग के गठन के बाद उसे रिपोर्ट तैयार करने और विभिन्न पक्षों से चर्चा में समय लगेगा। 7वें वेतन आयोग को अपनी रिपोर्ट पेश करने में 18 महीने का समय लगा था। इसी कारण नए वेतन आयोग की सिफारिशें FY27 तक लागू होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि फिटमेंट फैक्टर के निर्धारण के बाद सैलरी की गणना की जाएगी।
फिटमेंट फैक्टर से तय होगी बढ़ोतरी
वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर के माध्यम से सैलरी में वृद्धि की जाती है। पिछली बार 7वें वेतन आयोग में इसे 2.57 निर्धारित किया गया था, जिससे न्यूनतम बेसिक पे 18,000 रुपये हुआ था। हालांकि, हर बार नए आयोग के लागू होने पर महंगाई भत्ता (DA) शून्य कर दिया जाता है, जिससे वास्तविक वेतन वृद्धि कम हो जाती है। एम्बिट का अनुमान है कि इस बार फिटमेंट फैक्टर मजबूत हो सकता है, जिससे कुल सैलरी में 30 से 34 प्रतिशत तक की वृद्धि संभव है।
GDP को होगा फायदा
एम्बिट कैपिटल का मानना है कि वेतन और पेंशन में वृद्धि से खपत में बढ़ोतरी होगी, जिससे GDP में 30 से 50 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि हो सकती है। विशेष रूप से रियल एस्टेट, वाहन, बीमा, क्यूएसआर, और गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं (NBFCs) को सीधा लाभ मिल सकता है। पिछली बार 7वें वेतन आयोग से FY16 की GDP वृद्धि में लगभग 200 बेसिस प्वाइंट का योगदान हुआ था।
इक्विटी बाजार में भी बढ़ेगा निवेश
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि 8वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद पेंशन फंड के माध्यम से इक्विटी बाजार में निवेश बढ़ सकता है। FY26 से यूनिफाइड पेंशन स्कीम लागू होगी, जिसमें सरकार की पेंशन फंड में हिस्सेदारी 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत कर दी जाएगी। यदि इसमें से 45 प्रतिशत हिस्सा इक्विटी में लगाया गया, तो कुल निवेश 24,500 करोड़ रुपये से बढ़कर 46,500 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।