केंद्र सरकार ने अरावली पहाड़ियों के खनन संबंधी दावों को किया खारिज

केंद्र सरकार ने अरावली पहाड़ियों के खनन संबंधी हालिया दावों को खारिज कर दिया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, जब तक एक व्यापक प्रबंधन योजना को अंतिम रूप नहीं दिया जाता, तब तक नए खनन पट्टों पर रोक रहेगी। समिति ने खनन गतिविधियों की निगरानी और अवैध खनन पर कड़ी निगरानी की आवश्यकता पर जोर दिया है। जानें इस मुद्दे पर सरकार की अन्य महत्वपूर्ण सिफारिशें और सुरक्षा मानदंड।
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केंद्र सरकार ने अरावली पहाड़ियों के खनन संबंधी दावों को किया खारिज

अरावली पहाड़ियों की सुरक्षा पर सरकार का बयान

केंद्र सरकार ने उन रिपोर्टों को नकार दिया है, जिनमें कहा गया था कि अरावली पहाड़ियों की परिभाषा में बदलाव कर खनन की अनुमति दी गई है। सरकार ने स्पष्ट किया कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, जब तक एक व्यापक प्रबंधन योजना को अंतिम रूप नहीं दिया जाता, तब तक इस क्षेत्र में नए खनन पट्टों पर रोक लगा दी गई है।


रविवार को जारी एक बयान में, सरकार ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने अरावली पहाड़ियों की सुरक्षा के लिए एक समान मानदंड स्थापित करने का निर्देश दिया है। अनियंत्रित खनन से देश की पारिस्थितिकी को गंभीर खतरा हो सकता है।


सरकार ने यह भी बताया कि पिछले साल मई में, विभिन्न राज्यों द्वारा अपनाए जा रहे भिन्न मानदंडों के कारण, सर्वोच्च न्यायालय ने अरावली पहाड़ियों के लिए एक समान परिभाषा की सिफारिश करने के लिए एक समिति का गठन किया था। इस समिति की अध्यक्षता पर्यावरण मंत्रालय के सचिव ने की थी।


समिति की सिफारिशें और खनन गतिविधियों की निगरानी

सरकार ने कहा कि समिति ने परिभाषा में कई सुधारों का सुझाव दिया है। समिति ने यह भी कहा कि अरावली पहाड़ियों को सर्वे ऑफ इंडिया के मानचित्रों पर अंकित किया जाना चाहिए और उन क्षेत्रों की स्पष्ट पहचान होनी चाहिए जहां खनन सख्त वर्जित है।


समिति ने यह सिफारिश की है कि पहाड़ियों के बीच 500 मीटर की दूरी को ध्यान में रखते हुए उनका संरक्षण किया जाना चाहिए। इसके अलावा, सतत खनन को सक्षम बनाने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश और अवैध खनन को रोकने के लिए प्रभावी उपायों की आवश्यकता है।


राजस्थान, हरियाणा और गुजरात में जिला स्तरीय विश्लेषण से पता चलता है कि वर्तमान में कानूनी रूप से स्वीकृत खनन अरावली क्षेत्र के बहुत छोटे हिस्से में ही होता है। दिल्ली में किसी भी प्रकार के खनन की अनुमति नहीं है।


अवैध खनन पर कड़ी निगरानी की आवश्यकता

सरकार ने बताया कि अरावली के लिए प्राथमिक खतरा अवैध और अनियमित खनन है। समिति ने इस समस्या से निपटने के लिए कड़ी निगरानी, प्रवर्तन और ड्रोन जैसी तकनीकों के उपयोग की सिफारिश की है।