केंद्र सरकार का नया प्रस्ताव: सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट्स को मिलेगी पर्यावरणीय मंजूरी

केंद्र सरकार ने हाल ही में एक मसौदा अधिसूचना जारी की है, जिसमें सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट्स को पर्यावरणीय मंजूरी की आवश्यकता से मुक्त करने का प्रस्ताव रखा गया है। यह कदम अडाणी समूह की एक बड़ी परियोजना को राहत दे सकता है, लेकिन स्थानीय निवासियों ने इसके खिलाफ विरोध जताया है। उनकी चिंताएं प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर हैं। जानें इस प्रस्ताव के संभावित प्रभाव और स्थानीय संगठनों की प्रतिक्रिया के बारे में।
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केंद्र सरकार का नया प्रस्ताव: सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट्स को मिलेगी पर्यावरणीय मंजूरी

पर्यावरण मंत्रालय का नया मसौदा

केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हाल ही में एक मसौदा अधिसूचना जारी की है, जिसमें यह प्रस्तावित किया गया है कि जिन सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट्स में कैप्टिव पावर प्लांट नहीं हैं, उन्हें अब पर्यावरणीय मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो अडाणी समूह की कल्याण क्षेत्र में 1,400 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली 6 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता वाली सीमेंट ग्राइंडिंग प्लांट परियोजना को महत्वपूर्ण राहत मिल सकती है।


स्थानीय विरोध और चिंताएं

यह प्लांट अंबुजा सीमेंट लिमिटेड का है, जो अडाणी समूह की एक शाखा है। मोहने गांव और आसपास के अन्य दस गांवों के निवासियों ने इस परियोजना का विरोध किया है। उनका मानना है कि यह प्लांट घनी आबादी वाले क्षेत्र में प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकता है। हाल ही में महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आयोजित जनसुनवाई में नागरिकों ने इस परियोजना पर कड़ी आपत्ति जताई और सरकार से सवाल किया कि कैसे रिहायशी क्षेत्र में इस तरह के बड़े औद्योगिक संयंत्र को अनुमति दी जा सकती है।


प्रदूषण की चिंताएं

स्थानीय लोगों की मुख्य चिंता धूल और गैस उत्सर्जन से संबंधित है, जिसमें पार्टिकुलेट मैटर, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड शामिल हैं। हालांकि, केंद्र सरकार का तर्क है कि स्टैंडअलोन सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट्स में कैल्सिनेशन और क्लिंकराइजेशन जैसी ऊर्जा-गहन प्रक्रियाएं नहीं होतीं, इसलिए इनके लिए विस्तृत पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) और जनसुनवाई जैसी जटिल प्रक्रियाएं आवश्यक नहीं हैं।


सरकार का दृष्टिकोण

सरकार का कहना है कि इन यूनिट्स में कार्बन उत्सर्जन, अपशिष्ट और ऊर्जा की खपत कम होती है। यदि कच्चा माल और तैयार उत्पाद रेलवे या इलेक्ट्रिक वाहनों से परिवहन किए जाएं, तो प्रदूषण और भी कम होगा। मंत्रालय की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है और इसे 'ग्रीन लॉजिस्टिक्स' को बढ़ावा देने वाला कदम बताया है।


स्थानीय संगठनों की प्रतिक्रिया

हालांकि, पर्यावरण विशेषज्ञ और स्थानीय संगठन इस कदम को लेकर चिंतित हैं। मोहने कोलिवाड़ा ग्रामस्थ मंडल के अध्यक्ष सुभाष पाटिल ने कहा कि उन्हें इस अधिसूचना की जानकारी नहीं थी और वे इसे समझकर आगे की रणनीति तय करेंगे।


प्रस्तावित प्लांट का स्थान

जानकारी के अनुसार, प्रस्तावित प्लांट का स्थल पहले नेशनल रेयान कंपनी (NRC) का परिसर था, जिसे 2020 में अडाणी समूह ने अधिग्रहित किया। अब इस जमीन पर लगभग 26 हेक्टेयर क्षेत्र में नया प्लांट बनाया जाएगा, जिसमें से 9.67 हेक्टेयर हरित पट्टी के विकास के लिए निर्धारित किया गया है। जनता इस मसौदे पर अपनी आपत्तियां या सुझाव अधिसूचना जारी होने के 60 दिनों के भीतर दे सकती है.


औद्योगिक परियोजनाओं पर प्रभाव

यदि यह अधिसूचना लागू होती है, तो पूरे देश में कई निजी कंपनियों के लिए औद्योगिक परियोजनाएं शुरू करना आसान हो जाएगा, जिससे पर्यावरण सुरक्षा और स्थानीय समुदायों के अधिकारों पर नई बहस हो सकती है।