कृत्रिम बुद्धिमत्ता का मानवता की सेवा में उपयोग: ओम बिरला का संदेश

कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मानवता
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को हमेशा मानवता के कल्याण के लिए काम करना चाहिए और इसे मानव पर नियंत्रण स्थापित करने का साधन नहीं बनने देना चाहिए।
बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि एआई का विकास आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक जिम्मेदारी पर आधारित होना चाहिए, ताकि यह समाज के लिए लाभकारी साबित हो सके।
यह विचार उन्होंने हरिद्वार में देव संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित 'फेथ एण्ड फ्यूचर: इंटेग्रेटिंग एआई विद स्पिरिचुयलिटी' विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में व्यक्त किए।
यह सम्मेलन अमेरिका के 'फ्यूचर ऑफ लाइफ इंस्टीट्यूट' के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। बिरला ने कहा कि प्रौद्योगिकी का असली उद्देश्य मानव अनुभव को समृद्ध करना है, न कि उसे प्रतिस्थापित करना।
उन्होंने बताया कि एआई कई चुनौतियों का सामना कराता है, लेकिन इसके साथ नए समाधान भी प्रस्तुत करता है। बिरला ने नैतिकता और सत्य को भारत की ताकत बताते हुए इन मूल्यों को वैश्विक स्तर पर साझा करने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता भारत के प्राचीन ज्ञान और ज्ञान प्रणालियों को विश्व तक पहुंचाने का एक प्रभावी साधन बन सकता है।
बिरला ने स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और लोक कल्याण के क्षेत्रों में एआई की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इससे लाखों लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार संभव है।
उन्होंने भारत के प्राचीन आदर्शों 'वसुधैव कुटुम्बकम' (विश्व एक परिवार है) और 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' (सभी सुखी हों) का उल्लेख करते हुए कहा कि एआई का विकास समावेशी और समान होना चाहिए, ताकि इसका लाभ सभी मानवता को मिल सके।
बिरला ने उम्मीद जताई कि इस सम्मेलन से आध्यात्मिकता और आधुनिक तकनीकी प्रगति के बीच एक सार्थक वैश्विक संवाद की शुरुआत होगी, जिससे मानवता के लिए एक करुणामय और नैतिक भविष्य का निर्माण होगा। इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अन्य प्रमुख व्यक्ति भी मौजूद थे।