कुशीनगर में फरार दरोगा ने 10 साल बाद किया आत्मसमर्पण

कुशीनगर में एक दरोगा ने 10 साल बाद न्यायालय में आत्मसमर्पण किया है। यह मामला 2016 में दर्ज एक छेड़खानी के आरोप से जुड़ा है। अदालत ने पुलिस की उदासीनता पर गंभीर टिप्पणी की है, क्योंकि कई बार पत्र लिखने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और अदालत की कार्रवाई के बारे में।
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कुशीनगर में फरार दरोगा ने 10 साल बाद किया आत्मसमर्पण

कुशीनगर कोर्ट में दरोगा का आत्मसमर्पण

कुशीनगर की अदालत में एक फरार दरोगा ने मंगलवार को दस साल बाद आत्मसमर्पण किया। इस मामले में अदालत ने कई बार डीजीपी को पत्र लिखा, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।


कुशीनगर में फरार दरोगा ने 10 साल बाद किया आत्मसमर्पण


विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट, दिनेश कुमार की अदालत ने बताया कि थानाध्यक्ष कसया को 4 दिसंबर को तलब किया गया था, लेकिन वह न तो उपस्थित हुए और न ही अनुपस्थिति का कोई कारण बताया। यह दर्शाता है कि उन्होंने जानबूझकर अदालत के आदेश की अवहेलना की।


यह मामला 2016 में दर्ज एक मुकदमे से संबंधित है, जिसमें पीड़ित ने दरोगा तौफिक अहमद के खिलाफ आरोप लगाया था कि उसने उसकी 8 साल की बेटी के साथ छेड़खानी की। दरोगा ने पीड़ित के घर जाकर पानी मांगा और जब पीड़ित पानी लाने गया, तब उसने बच्ची के साथ गलत व्यवहार किया। पीड़ित ने दरोगा के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।


पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी, और अदालत ने तौफिक अहमद की जमानत 17 फरवरी 2017 को स्वीकार की, लेकिन उसके बाद वह फरार हो गया। इस मामले में शासन की ओर से विशेष शासकीय अधिवक्ता फूलबदन ने पैरवी की।


अदालत की पुलिस पर टिप्पणी

अदालत ने अभियुक्त को पेश करने के लिए 14 नवंबर 2024 से लगातार पुलिस महानिदेशक को पत्र भेजे। पुलिस अधीक्षक कुशीनगर को भी बार-बार पत्र भेजे गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 4 दिसंबर को कसया के थानाध्यक्ष को अदालत ने तलब किया, लेकिन वह भी उपस्थित नहीं हुए।


अदालत ने कहा कि यह सब पुलिस की उदासीनता को दर्शाता है, क्योंकि अदालत द्वारा बार-बार आदेश दिए जाने के बावजूद पुलिस ने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया।