कुटुंबा विधानसभा चुनाव: कांग्रेस, एनडीए और जन सुराज के बीच त्रिकोणीय मुकाबला

बिहार विधानसभा चुनाव में कुटुंबा सीट पर कांग्रेस, एनडीए और जन सुराज के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। पिछले चुनावों में कांग्रेस की जीत के बावजूद, एनडीए के ललन राम और जन सुराज के श्याम बली सिंह की उपस्थिति ने कांग्रेस की जीत की राह को चुनौती दी है। जानें इस सीट का चुनावी इतिहास और वर्तमान स्थिति के बारे में।
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कुटुंबा विधानसभा चुनाव: कांग्रेस, एनडीए और जन सुराज के बीच त्रिकोणीय मुकाबला

कुटुंबा विधानसभा सीट का महत्व

बिहार विधानसभा चुनाव में कुटुंबा विधानसभा सीट की लड़ाई महत्वपूर्ण साबित होने वाली है। यहां पिछले दो चुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत मिली है। हालांकि, कुटुंबा का वोटिंग पैटर्न यह दर्शाता है कि राजेश कुमार जनता की पहली पसंद कम और एकमात्र विकल्प ज्यादा हैं। यह सीट औरंगाबाद जिले में स्थित है और इसका चुनावी इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। अब तक इस सीट पर तीन बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं।


मुख्य मुकाबला

कुटुंबा विधानसभा सीट से लगातार दो बार कांग्रेस के राजेश राम उर्फ राजेश कुमार विधायक रहे हैं। महागठबंधन ने उन्हें कांग्रेस के प्रतीक पर टिकट दिया है। वहीं, एनडीए की ओर से हम पार्टी ने ललन राम को अपना उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने इस चुनाव को त्रिकोणीय बनाते हुए श्याम बली सिंह को टिकट दिया है।


पिछले चुनावों का विश्लेषण

साल 2020 में ललन राम ने इस सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उस समय वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में थे और उन्हें 20,433 वोट मिले थे। इससे पहले, 2010 में जेडीयू से ललन राम ने जीत हासिल की थी। इस बार एनडीए गठबंधन से उन्हें टिकट मिलने से उनकी जीत की संभावनाएं बढ़ गई हैं।


2015 के चुनाव में कांग्रेस के राजेश राम ने जीत दर्ज की और विधायक बने। फिर 2020 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और लगातार दूसरी बार जीत हासिल की। एनडीए के ललन राम और जन सुराज के श्याम बली सिंह के चुनावी मैदान में उतरने से कांग्रेस की जीत की राह कठिन हो गई है।