किसानों की आत्महत्या: महाराष्ट्र और कर्नाटक में बढ़ती चिंताएं

भारत में किसानों की आत्महत्या की समस्या गंभीर बनी हुई है, विशेषकर महाराष्ट्र और कर्नाटक में। हाल ही में जारी NCRB रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में 10,786 किसानों और खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि किसानों की आत्महत्याओं में पिछले वर्ष की तुलना में कमी आई है, लेकिन खेतिहर मजदूरों की आत्महत्याओं में वृद्धि हुई है। जानें इसके पीछे के कारण, जैसे ऋण का बोझ, मौसम की मार, और बाजार की अनिश्चितता। सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं, लेकिन क्या ये पर्याप्त हैं? इस विषय पर विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें।
 | 
किसानों की आत्महत्या: महाराष्ट्र और कर्नाटक में बढ़ती चिंताएं

किसानों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं

किसानों की आत्महत्या: महाराष्ट्र और कर्नाटक में बढ़ती चिंताएं

महाराष्ट्र और कर्नाटक में सबसे ज्‍यादा किसान कर रहे आत्‍महत्‍या.


भारत में कृषि केवल एक व्यवसाय नहीं है, बल्कि यह करोड़ों लोगों के लिए जीवन का आधार है। देश की आधी से अधिक जनसंख्या आज भी कृषि पर निर्भर है। हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट से पता चलता है कि किसानों और खेतिहर मजदूरों की स्थिति चिंताजनक है। 2023 में आई 'Accidental Deaths and Suicides in India' रिपोर्ट के अनुसार, खेती से जुड़े 10,786 व्यक्तियों ने आत्महत्या की, जिनमें 4,690 किसान और 6,096 खेतिहर मजदूर शामिल हैं। यह आंकड़ा कुल आत्महत्याओं का 6.3% है।


विश्लेषण करने पर, 2023 में 4,690 किसानों ने आत्महत्या की, जिनमें 4,553 पुरुष और 137 महिलाएं थीं। वहीं, खेतिहर मजदूरों में से 5,433 पुरुष और 663 महिलाएं थीं। पिछले वर्ष की तुलना में किसानों की आत्महत्याओं में लगभग 10% की कमी आई है। 2022 में 5,207 किसानों ने आत्महत्या की थी, जबकि खेतिहर मजदूरों में हल्की वृद्धि देखी गई है। 2022 में 6,083 मजदूरों ने आत्महत्या की थी, जो 2023 में बढ़कर 6,096 हो गई है।


किसानों की आत्महत्या: महाराष्ट्र और कर्नाटक में बढ़ती चिंताएं


किसानों की आत्महत्याओं का आंकड़ा


NCRB द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र और कर्नाटक में किसानों की आत्महत्याओं की संख्या सबसे अधिक है। महाराष्ट्र में 4,151 किसानों ने आत्महत्या की, जिसमें 2,518 किसान और 1,633 मजदूर शामिल हैं। कर्नाटक में 2,423 किसानों ने आत्महत्या की, जिनमें 1,425 किसान और 998 मजदूर शामिल हैं। इसके विपरीत, कई राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मणिपुर, मिज़ोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, चंडीगढ़, दिल्ली और लक्षद्वीप में 2023 में आत्महत्या का आंकड़ा शून्य रहा है।


किसानों की आत्महत्या: महाराष्ट्र और कर्नाटक में बढ़ती चिंताएं


आत्महत्याओं के कारण


किसानों की आत्महत्या की समस्या नई नहीं है। यह दशकों से ग्रामीण समाज को प्रभावित कर रही है। इसके मुख्य कारणों में शामिल हैं:



  1. ऋण का बोझ: महंगे बीज, खाद, कीटनाशक और सिंचाई के लिए किसान अक्सर कर्ज लेते हैं। फसल खराब होने पर कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाता है।

  2. मौसम की मार: सूखा, बाढ़ और कीटों के हमले से फसलें नष्ट हो जाती हैं, जिससे भारी नुकसान होता है।

  3. कैश क्रॉप पर निर्भरता: कपास और गन्ने जैसी फसलें अधिक निवेश मांगती हैं। कीमत गिरने पर किसान को बड़ा घाटा होता है।

  4. बाजार की अनिश्चितता: न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सभी फसलों पर लागू नहीं होता, जिससे किसान लागत से कम दाम पर फसल बेचने को मजबूर होते हैं।

  5. नीतिगत कमजोरियां: बीमा योजनाएं और सहायता कार्यक्रम सीमित हैं, जिससे किसानों को लाभ नहीं मिल पाता।


सरकारी योजनाओं की कमी


किसान मुख्यतः नकदी फसलों पर निर्भर हैं, जिसके लिए उन्हें महंगे कृषि आदानों पर निवेश करना पड़ता है। सीमित साधनों वाले किसान साहूकारों से कर्ज लेते हैं, लेकिन मौसम की मार इस बोझ को और बढ़ा देती है। सरकार ने फसल ऋण को आसान बनाने और आय सहायता देने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, लेकिन उच्च लागत और आपदाओं का प्रभाव अभी भी किसानों पर भारी है।