किराए पर संपत्ति देने से पहले जानें ये महत्वपूर्ण बातें
किराए पर संपत्ति देने के फायदे और नुकसान
कई लोग अपनी आय बढ़ाने के लिए अतिरिक्त संपत्ति को किराए पर देते हैं, जिससे हर महीने एक निश्चित राशि प्राप्त होती है। हालांकि, इस प्रक्रिया में कुछ जोखिम भी होते हैं, जिनके बारे में बहुत से लोग अनजान होते हैं। संपत्ति को किराए पर देने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, अन्यथा आप मुश्किल में पड़ सकते हैं। सबसे पहले, जब आप संपत्ति को किराए पर देते हैं, तो एक रेंट एग्रीमेंट बनवाना अनिवार्य है। यह किसी भी कानूनी विवाद में सहायक होता है।
किराएदार के अधिकार और दावे
आपको यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि आप किराएदार को कितने समय के लिए संपत्ति किराए पर दे रहे हैं। नियमों के अनुसार, यदि कोई किराएदार एक निश्चित अवधि से अधिक समय तक संपत्ति पर रहता है, तो वह उस पर दावा कर सकता है। यह स्थिति आपके लिए समस्याएं उत्पन्न कर सकती है।
किराएदार का दावा करने का अधिकार
भारत में किराएदारों और मकान मालिकों के अधिकारों को रेंट कंट्रोल एक्ट 1948 के तहत परिभाषित किया गया है। यदि कोई किराएदार लगातार 12 वर्षों तक एक संपत्ति में निवास करता है, तो वह उस पर अपना दावा कर सकता है। हालांकि, इसके लिए नियम काफी जटिल हैं। यदि ऐसा होता है, तो आपकी संपत्ति विवादित हो सकती है, जिससे उसे बेचना भी मुश्किल हो सकता है।
किराएदार के दावे को चुनौती देने के उपाय
इस प्रकार की समस्याओं से बचने के लिए, मकान मालिकों को किराए पर देने से पहले एक रेंटल एग्रीमेंट बनवाना चाहिए। यह आमतौर पर 11 महीने का होता है और हर साल नवीनीकरण किया जा सकता है। यदि आपको लगता है कि आपका किराएदार सही नहीं है, तो आप रेंट एग्रीमेंट के माध्यम से उसे संपत्ति खाली करने के लिए कह सकते हैं। समय-समय पर किराएदार बदलना इस समस्या से बचने का एक प्रभावी तरीका है।