कालियाचक गांव: जहां हर घर में हैं अंग्रेजी के शिक्षक

English Teachers Village: एक अद्भुत कहानी

कालियाचक गांव का प्रत्येक व्यक्ति इंग्लिश में है माहिर (सांकेतिक तस्वीर)Image Credit source: Getty image
कालियाचक गांव: पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में स्थित कालियाचक एक साधारण सा गांव प्रतीत होता है, जिसमें आम और लीची के बाग हैं। लेकिन इसकी असली पहचान कुछ और है। यहां के बच्चे और बुजुर्ग सभी इंग्लिश बोलते हैं। कहीं IELTS की तैयारी हो रही है, तो कहीं ऑनलाइन क्लास की रिहर्सल चल रही है। यहां इंग्लिश केवल एक विषय नहीं, बल्कि लोगों की दैनिक जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है।
इसकी वजह एक अद्भुत परिवर्तन है। हां, इस गांव के हर घर में एक इंग्लिश शिक्षक है। आइए जानते हैं कि यह कैसे संभव हुआ।
गांव की गलियों में इंग्लिश की गूंज
कालियाचक की गलियों में चलते हुए, आप बच्चों को IELTS की प्रैक्टिस करते सुन सकते हैं और टीचर्स को ऑनलाइन क्लास के लिए तैयारी करते देख सकते हैं। यहां इंग्लिश केवल एक विषय नहीं, बल्कि करियर और जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
मेहनत का फल
कालियाचक के लोगों ने एक दिन में इंग्लिश नहीं सीखी है। यह दशकों की मेहनत, स्कूलों की कोशिश और लोगों की लगन का परिणाम है। यहां फैजी अकादमी और तर्बियत पब्लिक जैसे स्कूल हैं, जो इंग्लिश मीडियम में शिक्षा प्रदान करते हैं। इन स्कूलों से गांव के अधिकांश लोग स्पोकन इंग्लिश में दक्ष हुए हैं।
हर घर में ट्यूशन सेंटर
यहां केवल स्कूल ही नहीं, बल्कि हर गली में कोचिंग और ट्यूशन सेंटर भी हैं। कालियाचक के शिक्षक केवल गांव में ही नहीं, बल्कि दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे शहरों में भी पढ़ा रहे हैं। कई शिक्षक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से विदेशों में भी बच्चों को इंग्लिश सिखा रहे हैं। गांव में उनके परिवार छोटे-छोटे ट्रेनिंग हब चला रहे हैं, ताकि अगली पीढ़ी भी इंग्लिश टीचिंग में आगे बढ़ सके।
रोजमर्रा की जिंदगी में इंग्लिश का महत्व
यहां के बच्चे घर पर इंग्लिश बोलने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। त्योहारों और मेलों में स्पीच कॉन्टेस्ट आयोजित होते हैं। यहां तक कि बाजार में दुकानदार भी ग्राहकों को इंग्लिश में अभिवादन करने का प्रयास करते हैं।
शिक्षा और रोजगार का संगम
गांव में केवल पढ़ाई नहीं होती, बल्कि आम और लीची की खेती, रेशम और जूट का कारोबार भी होता है। लेकिन शिक्षा, विशेषकर इंग्लिश टीचिंग ने गांव की किस्मत बदल दी है। यहां के कॉलेज और टीचर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट्स दूर-दूर से छात्रों को आकर्षित करते हैं।
ये भी पढ़ें-DUSU Election 2025: NSUI की हार क्या रही वजह? जानें कैसे पायलट-बेनीवाल की जंग रही बेनतीजा