कालभैरव जयंती 2025: आरती से मिलेगी भय, रोग और शत्रुओं से मुक्ति
भगवान कालभैरव की जयंती
भगवान कालभैरव
कालभैरव की आरती के बोल: आज भगवान कालभैरव की जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को यह विशेष दिन आता है। भगवान कालभैरव, जो शिव जी के रौद्र रूप माने जाते हैं, ने ब्रह्मा जी का पांचवां सिर काटा था। उन्हें काशी के कोतवाल और समय तथा मृत्यु पर नियंत्रण रखने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है।
कहा जाता है कि कालभैरव से काल को भी भय होता है। इस दिन विधिपूर्वक उनकी पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। भक्तजन इस दिन भगवान से भय, पाप और संकट से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। पूजा के दौरान कालभैरव की आरती का पाठ करना अनिवार्य होता है, क्योंकि बिना आरती के पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। आरती का पाठ करने से भक्तों को भय, रोग और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। आइए, भगवान कालभैरव की आरती का पाठ करें।
काल भैरव की आरती
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
जय भैरव देवा
तुम्हीं पाप उद्धारक दु:ख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
जय भैरव देवा
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।
महीमा अमित तुम्हारी जय जय भयकारी।।
जय भैरव देवा
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दु:ख सगरे खोंवे।।
जय भैरव देवा
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिये भैरव करिये नहीं देरी।।
जय भैरव देवा
पांव घुंघरु बाजत अरु डमरु डमकावत।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हरषावत।।
जय भैरव देवा
बथुकनाथ की आरती जो कोई नर गावे।
कहें धरणी धर नर मनवांछित फल पावे।।
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
जय भैरव देवा
ये भी पढ़ें: कालभैरव जयंती 2025: भगवान कालभैरव, जिनसे काल को भी होता है भय, जानें क्यों कहे जाते हैं काशी के कोतवाल?
