कार्तिक अमावस्या 2025: पूजा विधि और महत्व

कार्तिक अमावस्या 2025 का महत्व और पूजा विधि जानें। इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान कृष्ण और श्री हरि विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। जानें इस दिन के धार्मिक अनुष्ठान, स्नान और दान के बारे में। सही मुहूर्त और तिथि की जानकारी भी प्राप्त करें।
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कार्तिक अमावस्या 2025: पूजा विधि और महत्व

कार्तिक अमावस्या 2025

कार्तिक अमावस्या 2025: पूजा विधि और महत्व

कार्तिक अमावस्या 2025

कार्तिक अमावस्या 2025 का मुहूर्त और पूजा विधि: सनातन धर्म में अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व है, और कार्तिक अमावस्या को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। हर वर्ष दिवाली इसी तिथि पर मनाई जाती है। देशभर में दिवाली का उत्सव कल मनाया गया, लेकिन अमावस्या की तिथि आज समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, आज कार्तिक अमावस्या है। इस दिन स्नान, दान और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे।

इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान कृष्ण और श्री हरि विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। यह दिन स्नान, दान और पूजा-पाठ के लिए अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान और दान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। पितरों का तर्पण भी इस दिन विशेष महत्व रखता है। आइए जानते हैं अमावस्या की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि।

कार्तिक अमावस्या 2025 की तिथि और मुहूर्त

कार्तिक अमावस्या की तिथि 20 अक्टूबर, सोमवार को दोपहर 03:44 बजे से शुरू हो चुकी है। यह तिथि 21 अक्टूबर, आज शाम 05:54 बजे समाप्त होगी। आज अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:43 से दोपहर 12:28 बजे तक रहेगा।

कार्तिक अमावस्या पूजा विधि

इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण की भी पूजा की जाती है। प्रातःकाल नदी, जलाशय या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए और जल में तिल प्रवाहित करना चाहिए। नवग्रहों की शांति के लिए नवग्रह स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का जाप भी करना चाहिए। शिवलिंग का शहद से अभिषेक करना भी इस दिन का एक महत्वपूर्ण कार्य है।

कार्तिक अमावस्या का महत्व

कार्तिक मास की अमावस्या का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत के शांति पर्व में भगवान कृष्ण ने इसे महत्वपूर्ण बताया है। यह दिन अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का प्रतीक है और आत्मिक शुद्धि का भी दिन माना जाता है। इस दिन पितरों के लिए तर्पण और दान पुण्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

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