काबुल का ऐतिहासिक एरियाना सिनेमा: संस्कृति का विनाश और आधुनिकता का भ्रम

काबुल का ऐतिहासिक एरियाना सिनेमा, जो दशकों तक फिल्म प्रेमियों का केंद्र रहा, अब एक शॉपिंग मॉल के लिए ध्वस्त किया जा रहा है। यह कदम तालिबान के शासन के तहत अफगानिस्तान की सांस्कृतिक दुनिया पर छाए अंधकार को दर्शाता है। एरियाना का विध्वंस केवल एक इमारत का गिरना नहीं है, बल्कि यह अफगानिस्तान की सांस्कृतिक स्मृति को मिटाने का प्रयास है। जानें इस सिनेमा के महत्व और इसके गिरने के पीछे की कहानी।
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काबुल के एरियाना सिनेमा का विध्वंस

काबुल का ऐतिहासिक एरियाना सिनेमा, जो शहर की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक रहा है, अब ध्वस्त किया जा रहा है। यह सिनेमा दशकों तक काबुल के फिल्म प्रेमियों का केंद्र रहा है, लेकिन अब इसे एक शॉपिंग मॉल के लिए तोड़ा जा रहा है। हाल ही में मीडिया में दिखाए गए दृश्यों में बुलडोज़र को एरियाना की दीवारों को गिराते हुए देखा गया। 1960 के दशक में स्थापित यह सिनेमा अफगानिस्तान के सांस्कृतिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। इसे 1992 से 1996 के बीच के गृहयुद्ध में लूटा गया और लगभग नष्ट कर दिया गया था, लेकिन 2004 में फ्रांस के नेतृत्व में पुनर्निर्माण के बाद इसे फिर से खोला गया, जिससे काबुल की सांस्कृतिक गतिविधियों में नई जान फूंक दी गई।


तालिबान के शासन में सांस्कृतिक अंधकार

हालांकि, 2021 में तालिबान की वापसी के साथ अफगानिस्तान की सांस्कृतिक दुनिया पर अंधेरा छा गया। तालिबान ने इस्लामी कानून की कठोर व्याख्या के तहत फिल्मों, संगीत और अन्य मनोरंजन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया। एरियाना सिनेमा को कभी-कभार तालिबानी प्रचार फिल्में दिखाने के लिए इस्तेमाल किया गया, लेकिन अंततः इसे पूरी तरह बंद कर दिया गया।


काबुलवासियों की भावनाएँ

गुरुवार को सिनेमा स्थल पर एक बैनर लगा था, जिसमें लिखा था कि यहां एक आधुनिक बाजार बनाया जाएगा। इस तथाकथित आधुनिकता ने काबुल के निवासियों के दिलों को तोड़ दिया है। 65 वर्षीय एक महिला ने कहा कि एरियाना सिनेमा के गिरने की खबर ने उनका दिल तोड़ दिया। उन्होंने बताया कि 1970 के दशक में यहां भारतीय और ईरानी फिल्में दिखाई जाती थीं। बाद में रूसी, अंग्रेज़ी, फ्रांसीसी और अन्य यूरोपीय फिल्मों का भी प्रदर्शन हुआ।


संस्कृति का विनाश

फ्रांसीसी-अफगान लेखक और फिल्मकार अतिक रहिमी, जिनकी पहली फिल्म 2004 में एरियाना में दिखाई गई थी, इस खबर से स्तब्ध हैं। उन्होंने कहा कि एरियाना कोई खंडहर नहीं था, बल्कि एक स्मृति थी जिसे जीवित रखा जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यह एक बार गृहयुद्ध में नष्ट हुआ था, और अब इसे 'आधुनिकता' के नाम पर मिटाया जा रहा है।


संस्कृति का संरक्षण

एरियाना सिनेमा का विध्वंस केवल एक इमारत का गिरना नहीं है, बल्कि यह अफगानिस्तान की संस्कृति पर एक बड़ा आघात है। यह उस देश की सांस्कृतिक स्मृति को मिटाने का प्रयास है, जो पहले ही दशकों के युद्ध और कट्टरता से प्रभावित हो चुका है। तालिबान का यह कदम स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि उसे संस्कृति से नहीं, बल्कि नियंत्रण से मतलब है।


भविष्य की चेतावनी

एरियाना का गिरना पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है। यह बताता है कि यदि संस्कृति की रक्षा नहीं की गई, तो विकास का हर दावा खोखला होगा। मॉल खड़े हो सकते हैं, लेकिन वे इतिहास नहीं रचते। सिनेमा टूट सकता है, लेकिन उसकी यादें हमेशा जीवित रहेंगी।


लेखक का नाम

-नीरज कुमार दुबे