कानपुर बस हादसे में मासूम अनुराग की दर्दनाक मौत

कानपुर में एक भयानक बस दुर्घटना ने 5 साल के अनुराग की जान ले ली, जिससे उसका परिवार बुरी तरह प्रभावित हुआ। पिता अजय चौधरी की करुण पुकार और बेटी हिमांशी की मासूमियत ने इस घटना को और भी दिल दहला देने वाला बना दिया। जानें इस दर्दनाक घटना के बारे में और कैसे यह परिवार इस कठिन समय का सामना कर रहा है।
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कानपुर बस हादसे में मासूम अनुराग की दर्दनाक मौत

कानपुर में भीषण बस दुर्घटना

कानपुर बस हादसे में मासूम अनुराग की दर्दनाक मौत


कानपुर के अरौल थाना क्षेत्र में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर मंगलवार सुबह एक भयानक बस दुर्घटना ने एक परिवार को हमेशा के लिए तोड़ दिया। दिल्ली से बिहार के अपने गांव जा रही डबल डेकर स्लीपर बस के पलटने से 5 साल के अनुराग की जान चली गई। इस हादसे में अनुराग की मौत इतनी भयानक थी कि उसका सिर तक नहीं मिला। जब उसके पिता, अजय चौधरी, कानपुर के हैलट पोस्टमॉर्टम हाउस में पहुंचे और चादर हटाई, तो वे जमीन पर गिर पड़े और चीख पड़े, 'हे भगवान! मेरे बेटे का सिर कहां गया?'


परिवार की स्थिति

अजय चौधरी, जो बिहार के सोनवर्षा गांव के निवासी हैं, दिल्ली के शालीमार बाग में अपनी पत्नी गुड्डी और तीन बच्चों के साथ रहते हैं। उनकी मां मिच्छन देवी को हृदय रोग है, और परिवार उन्हें इलाज के लिए दिल्ली ले जा रहा था। बस के पलटने से गुड्डी का दायां पैर कट गया और वे गंभीर रूप से घायल हो गईं। वर्तमान में, वे हैलट अस्पताल के ICU में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही हैं।


पिता की करुण पुकार

अजय ने अपनी 3 साल की बेटी हिमांशी को गोद में लेकर दोपहर करीब 2 बजे पोस्टमॉर्टम हाउस में पहुंचे। जब उन्होंने बेटे का धड़ देखा, तो पहले तो वे समझ नहीं पाए। जब चादर हटाई गई, तो कर्मचारियों ने बताया कि सिर पूरी तरह कुचल गया है। यह सुनते ही अजय फूट-फूटकर रो पड़े। वे बार-बार बेटे के शरीर पर हाथ फेरते रहे और चीखते रहे कि उनके 5 साल के बेटे ने ऐसा कौन-सा गुनाह किया था कि उसे ऐसी मौत मिली।


हिमांशी की मासूमियत

अजय ने बताया कि 26 अक्टूबर को अनुराग का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया था, जिसमें उसे नई साइकिल उपहार में दी गई थी। रोते हुए उन्होंने कहा, 'अब यह साइकिल कौन चलाएगा?' 3 साल की हिमांशी भी अपने बड़े भाई की मौत को नहीं समझ पा रही थी। पिता के गले से चिपकी हुई वह बार-बार चिल्ला-चिल्लाकर रोती और मां के पास जाने की जिद करती। पोस्टमॉर्टम हाउस में मौजूद लोगों ने उसके लिए दूध और बिस्किट मंगवाए, लेकिन उसने कुछ नहीं खाया। वहां मौजूद लोग पिता और बेटी की करुण स्थिति देखकर अपने आंसुओं को नहीं रोक पाए।