कांतारा फिल्म के बूथा कोला परंपरा का सम्मान, डाक विभाग ने जारी किया विशेष कवर
कांतारा फिल्म ने कर्नाटक की बूथा कोला परंपरा को मान्यता देने के लिए डाक विभाग के सहयोग से विशेष कवर और पोस्टकार्ड जारी किए हैं। यह पहल 22 सितंबर 2025 को होगी और इसका उद्देश्य इस अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना है। इस विशेष सामग्री के माध्यम से, फिल्म ने सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और साझा करने का प्रयास किया है। जानें इस पहल के बारे में और कैसे यह परंपरा हर घर तक पहुंचेगी।
Sep 25, 2025, 15:29 IST
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कर्नाटक की परंपरा को मान्यता
होम्बले फिल्म्स ने कर्नाटक की बूथा कोला परंपरा को मान्यता देने के लिए केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और भारतीय डाक विभाग का आभार व्यक्त किया। इस परंपरा के सम्मान में 22 सितंबर 2025 को एक विशेष आवरण, दो चित्र पोस्टकार्ड और एक विशेष रद्दीकरण टिकट जारी किया जाएगा।
सांस्कृतिक उपलब्धि का प्रचार
इस महत्वपूर्ण घोषणा को होम्बले फिल्म्स ने ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किया, जिसे कांतारा: चैप्टर 1 के निर्देशक और अभिनेता ऋषभ शेट्टी ने रिट्वीट किया और इंस्टाग्राम पर भी साझा किया। इससे यह सांस्कृतिक उपलब्धि और भी व्यापक स्तर पर पहुँची।
फिलेटली के माध्यम से सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण
फिलेटली के माध्यम से सांस्कृतिक विरासत का सम्मान
यह पहल कांतारा: चैप्टर 1 की आगामी रिलीज़ (2 अक्टूबर 2025) से जुड़ी है और भारत की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर को नवाचारी तरीकों से प्रस्तुत करती है।
बूथा कोला तटीय कर्नाटक के तुलु भाषी क्षेत्रों में प्रचलित एक पारंपरिक अनुष्ठान है। इसमें भक्ति, नृत्य, संगीत, लोककथा और देव-पूजन का अनूठा संगम देखने को मिलता है। यह परंपरा न केवल देवताओं और पूर्वजों की आत्माओं को सम्मानित करती है, बल्कि प्रकृति और समुदाय के गहरे रिश्ते को भी अभिव्यक्त करती है। डाक टिकटों के माध्यम से इसे अमर बनाकर इस परंपरा को भौगोलिक सीमाओं से बाहर पूरी दुनिया तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है।
डाक विभाग की विशेषताएँ
डाक विभाग की शृंखला की विशेषताएं
विशेष आवरण (Special Cover): बूथा कोला की पारंपरिक कलात्मकता से प्रेरित मूल चित्रांकन।
चित्र पोस्टकार्ड (2 डिज़ाइन): एक डिज़ाइन में अनुष्ठान की जीवंत झलक, दूसरे में प्रतीकात्मक रूपांकन।
पिक्टोरियल कैंसलेशन (विशेष रद्दीकरण टिकट): डाक विभाग की ओर से जारी आधिकारिक चिह्न, जिससे हर डाक वस्तु एक संग्रहणीय धरोहर बन जाती है।
ये डाक सामग्री केवल कांतारा के प्रशंसकों के लिए स्मृति चिह्न नहीं हैं, बल्कि इन्हें सांस्कृतिक धरोहर के रूप में डिज़ाइन किया गया है, ताकि फिलेटलिस्ट, सिने-प्रेमी और संस्कृति शोधकर्ता सभी इस परंपरा को सहेजें और साझा करें।
होम्बले फिल्म्स का आभार
होम्बले फिल्म्स ने व्यक्त किया आभार
इस अवसर पर होम्बले फिल्म्स ने कहा, “हम माननीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और भारतीय डाक विभाग के अत्यंत आभारी हैं, जिन्होंने बूथा कोला को फिलेटली के माध्यम से सम्मानित किया। यह सहयोग सिनेमा, संस्कृति और समाज के बीच एक सेतु का काम करेगा और हमारी परंपराएँ हर घर तक पहुँचेंगी।”