कांग्रेस सांसद ने आरएसएस की तुलना अल कायदा से की, विवाद बढ़ा

कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर ने आरएसएस की तुलना अल कायदा से की, जिससे राजनीतिक हलकों में विवाद खड़ा हो गया है। इस बयान पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है, जबकि दिग्विजय सिंह ने अपने पहले के बयान पर सफाई दी है। जानें इस विवाद के पीछे की कहानी और अन्य नेताओं की प्रतिक्रियाएँ।
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कांग्रेस सांसद ने आरएसएस की तुलना अल कायदा से की, विवाद बढ़ा

मणिक्कम टैगोर का विवादास्पद बयान

कांग्रेस सांसद ने आरएसएस की तुलना अल कायदा से की, विवाद बढ़ा

कांग्रेस के नेताओं के बयानों में बढ़ती विवादित टिप्पणियाँ

हाल के दिनों में कांग्रेस के नेताओं के बयानों में विविधता देखने को मिली है। दिग्विजय सिंह ने शनिवार को आरएसएस के बारे में कुछ कहा था, लेकिन बाद में उन्होंने अपने बयान से पीछे हटने की कोशिश की। इस संदर्भ में, लोकसभा सांसद मणिक्कम टैगोर ने आरएसएस की तुलना अल कायदा से की है।

टैगोर ने कहा कि अल कायदा और आरएसएस का उद्देश्य एक समान है, दोनों नफरत फैलाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवादी संगठनों को आरएसएस से सीखने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि कांग्रेस प्रेम और सद्भाव की पक्षधर है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि आरएसएस से सीखने का कोई सवाल नहीं है, भले ही वे और अल कायदा संगठित हों। यह टिप्पणी दिग्विजय सिंह के उस बयान पर आई थी जिसमें उन्होंने संघ से सीखने की बात की थी। इस पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। नलिन कोहली ने कहा कि क्या आरएसएस की तुलना जिहादी संगठनों से की जा सकती है? राहुल और सोनिया को इस पर स्पष्टता देनी चाहिए।

दिग्विजय सिंह का बयान

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर साझा की थी जिसमें प्रधानमंत्री मोदी जमीन पर बैठे हुए हैं। उन्होंने लिखा कि यह तस्वीर प्रभावशाली है और यह दिखाती है कि कैसे आरएसएस का कार्यकर्ता नेताओं के चरणों में बैठकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बना। उन्होंने इसे संगठन की शक्ति बताया।

इस बयान के बाद कई कांग्रेस नेताओं ने अपनी राय व्यक्त की है। दिग्विजय ने सफाई दी है कि उन्होंने संगठन की प्रशंसा की है, लेकिन वे आरएसएस और मोदी की नीतियों के खिलाफ हैं।

सिद्धारमैया के बेटे का बयान

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र ने भी आरएसएस की तुलना तालिबान से की थी। उन्होंने कहा था कि आरएसएस की मानसिकता तालिबान जैसी है, जो हिंदू धर्म को उसी तरह लागू करना चाहता है जैसे तालिबान इस्लाम के सिद्धांतों को थोपता है। इसके बाद सरकार ने संघ पर कुछ प्रतिबंध लगाए थे, लेकिन अदालत के फैसले के बाद उन्हें वापस लेना पड़ा।